अमेरिका और रूस ने किया दगा, UNSC मेम्बरशिप पाने की कोशिश मे भारत को झटका
अमेरिका और रूस ने किया दगा, UNSC मेम्बरशिप पाने की कोशिश मे भारत को झटका
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यूनाइटेड नेशंस : सिक्युरिटी काउंसिल के परमानेंट सदस्यों ने काउंसिल मे बदलाव कर संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशंस) की सिक्युरिटी काउंसिल मे मेंबरशिप लेने की भारत की कोशिशो को बड़ा झटका लगा है। अमेरिका, रूस और चीन जैसे सिक्युरिटी काउंसिल के परमानेंट मेंबर्स (स्थायी सदस्य) ने काउंसिल में बदलाव की कोशिशों का विरोध किया है।

यह खबर इसलिए हैरान करने वाली है क्योंकि रूस से भारत के संबंध दोस्ताना माने जाते हैं, जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत की दावेदारी का समर्थन कर चुके हैं। यूएन जनरल असेंबली के प्रेसिडेंट सैम कुटेसा ने यूनाइटेड नेशंस के सभी सदस्यो को सिक्युरिटी काउंसिल में बदलाव के लिए लिखा था।

इसके जवाब में UN में अमेरिका की एंबेसेडर सामंथा पावर ने कुटेसा को लिखा, सैद्धांतिक तौर पर उनका देश सिक्युरिटी काउंसिल के परमानेंट और नॉन-परमानेंट मेंबरों की तादाद बढ़ाए जाने के हक में है। लेकिन तादाद बढ़ाए जाने से पहले यह देखा जाना चाहिए कि दुनिया में शांति और सुरक्षा कायम रखने के लिए संबंधित देश (जो मेंबर बनना चाहता है) क्या मदद करना चाहता है और उसकी मदद करने की काबिलियत कितनी है। हमें लगता है कि नए परमानेंट मेंबरों पर विचार करते समय उस देश का नाम बताया जाना चाहिए।

रूस का स्टैंड

सिक्युरिटी काउंसिल में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन कर चुके रूस ने यूएन प्रेसिडेंट को लिखी चिट्ठी में कहा, 'सिक्युरिटी काउंसिल के परमानेंट मेंबरों के सभी विशेषाधिकार (प्रेरोगेटिव्स) कायम रहने चाहिए। इसमें वीटो का अधिकार भी शामिल है।

 चीन का रुख

इस मुद्दे पर चीन ने कहा, 'सिक्युरिटी काउंसिल का रिफॉर्म मेंबरों की एकता की कीमत पर नहीं होना चाहिए। ऐसे किसी मसले पर जिसे लेकर मेंबर बंटे हों, चीन उसका समर्थन नहीं कर सकता है।' सिक्युरिटी काउंसिल के दो मेंबरों ने किया भारत का समर्थन 'पांच सदस्यों वाली सिक्युरिटी काउंसिल के दो मेंबरों-फ्रांस और ब्रिटेन ने काउंसिल का परमानेंट मेंबर बनने के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। कजाकिस्तान और रोमानिया ने ब्राजील, जर्मनी, भारत, जापान और अफ्रीका से एक देश को काउंसिल का परमानेंट मेंबर बनाए जाने की मांग की है।

भारत का रुख

भारत कहता रहा है कि यूएनएससी का एक्सटेंशन किया जाना चाहिए और इस पर बातचीत अनिश्चित काल तक नहीं चल सकती है और इसके लिए डेडलाइन तय की जानी चाहिए ताकि कोई परिणाम निकल सके। यूएन में भारत के एंबेसेडर अशोक कुमार मुखर्जी यूएनएससी के मेंबरों की तादाद बढ़ाने को लेकर पहले कह चुके हैं, जो यह कह रहे हैं कि कोई टाइमलाइन नहीं तय की जा सकती है, उन्हें सलाह दी जा सकती है कि वे प्रॉसेस में देरी न करें। क्या करती है सिक्युरिटी काउंसिल? यूएन सिक्युरिटी काउंसिल के 5 देश परमानेंट मेंबर हैं। इनमें अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल हैं। काउंसिल दुनिया में शांति कायम रखने के लिए काम करती है।

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