नई दिल्ली: आज सोमवार (22 जनवरी) को जब पूरा देश राममय है और अयोध्या में भव्य मंदिर के गर्भगृह में श्री राम लला की पर प्रतिष्ठा का जश्न मना रहा है, वहीं वामपंथियों द्वारा अब भी लोगों के बीच भ्रम फैलाना जारी है। वे अब देश को भलाबुरा कहकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। वामपंथी 'पत्रकार', 'कार्यकर्ता' और प्रचारकों ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बारे में शिकायत करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया।
कम्युनिस्ट नेता और पूर्व JNU छात्र अध्यक्ष आइशी घोष ने लिखा कि, '22 जनवरी। एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का पतन। याद रखा जाएगा।' वामपंथी प्रोपेगेंडा आउटलेट द वायर की वरिष्ठ संपादक आरफ़ा खानम शेरवानी ने ट्वीट किया, "जिस तरह से हमने भारत की कल्पना की थी, कई शताब्दियों तक भारत को जानते थे, वह अब मर चुका है।" कांग्रेस के मुखपत्र 'नेशनल हेराल्ड' में स्तंभकार मिताली सरन ने कहा कि, ''एक मंदिर-सरकार, एक स्वयं-नियुक्त राजा-पुजारी में सन्निहित, जो लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहा है कि उसे भगवान ने चुना है - एक पूरी तरह से असमान देश की कठिन शुरुआत। यह कई मायनों में क्राइम सीन है।'
A temple-government, embodied in a self-appointed king-priest who’s trying to convince people that he was chosen by god—the hard launch of a thoroughly unequal country. It’s a crime scene in more ways than one.
— Mitali Saran (@mitalisaran) January 22, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने तमाम सबूतों को देखने के बाद राम मंदिर के हक में फैसला सुनाया था। जिसके बाद आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों आयोजित की गई। श्री राम के बाल स्वरूप (बचपन के रूप) की भव्य मूर्ति अब दुनिया भर में एक अरब से अधिक हिंदुओं के पूजनीय भगवान हैं। 22 जनवरी 2024 हिंदू सभ्यता के जागरण और 500 वर्षों के सांस्कृतिक विनाश के समापन का दिन है। ऐसे में, यह आशंका थी ही कि वामपंथी सोशल मीडिया के जरिए लोगों को भड़काने का प्रयास करेंगे, जो वे कर भी रहे हैं।
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