चीन को ठेंगा दिखा भारत बना MTCR का सदस्य
चीन को ठेंगा दिखा भारत बना MTCR का सदस्य
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नई दिल्ली : चीन समेत कुछ देशों के प्रतिरोध के कारण भले ही भारत को एनएसजी की सदस्यता न मिली हो, लेकिन आज भारत मिसाइल प्रौद्दोगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का पूर्ण सदस्य बन गया है। किसी भी बहुपक्षीय निर्यात व्यवस्था में ये भारत का पहला प्रवेश है। विदेश सचिव एस जयशंकर द्वारा एमटीसीआर की सदस्यता पाने के लिए दस्तावेजों पर साइन किया।

इस दौरान वहां फ्रांस, नीदरलैंड व लक्जमबर्ग के राजदूत भी मौजूद थे। इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने बताया कि हमने पिछले साल एमटीसीआर की सदस्यता के लिए आवेदन किया था। सारी प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। विदेश सचिव एस जयशंकर फ्रांस, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग के राजदूतों की मौजूदगी में एमटीसीआर में शामिल होने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करेंगे।

बता दें कि चीन एमटीसीआर का सदस्य नहीं है। भारत का असैन्य परमाणु करार अमेरिका के साथ है। इसी कारण से भारत एनएसजी, एमटीसीआर, ऑस्ट्रेलियाई समूह व वेसेनार अरेंजमेंट में शामिल होने की कोशिश कर रहा है। ये समूह पारंपरिक, परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियारों और प्रौद्योगिकी का सूत्रीकरण करते हैं। बीते वर्ष इटली ने भारत की एमटीसीआर सदस्यता का विरोध किया था।

दरअसल मरीन विवाद के कारण इटली भारत से रुष्ट चल रहा था। केरल तट पर दो मछुआरों के हत्या के आरोपी दो इतालवी मरीनों को उनके मुल्क वापस जाने की इजाजत देने के बाद इटली ने इस ओर थोड़ी नरमी बरती। 34 सदस्यीय इस समूह में भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों को तब बल मिला जब उसने इस महीने की शुरूआत में हेग आचार संहिता का हिस्सा बनने पर सहमति जताई।

हेग आचार संहिता बैलिस्टिक मिसाइल की अप्रसार व्यवस्था से संबंधित है। इससे भारत उच्च स्तरीय मिसाइल प्रौद्दोगिकी को खरीदने में भी सक्षम हो गया है और इससे रुस के साथ इसके संयुक्त उपक्रम को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा अब भारत मानव रहित ड्रोन भी खरीद सकेगा।

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