-जिस बात से समाज को सुख पहुंचे, उससे यदि तुम्हें कुछ दुःख भी पहुंचे तो नाराज मत हो।
-जो मूर्ख अपनी मूर्खता को जानता है, वह धीरे-धीरे सीख सकता है, परंतु जो मूर्ख अपने को बुद्धिमान समझता है उसका रोग असाध्य है।
- जो बाहर से बहुत सुन्दर है पर जिनका मन मैला है, उससे तो कौआ अच्छा है जो बाहर भीतर एक रंग है।
-घमंड या अहंकार मूर्खता की निशानी है, जिस जगह शरीर में खून की कमी होती है, वहां वायु भर जाने से शरीर फूल जाता है, ऐसे ही जहां बुद्धि का घाटा है, वहां अहंकार भर जाने से मन फूल जाता है।
-मर्यादा से चलों, कभी सीमा के बाहर मत जाओं, अपनी हानि करने वालों को जहां तक बन पड़े क्षमा करों।
-सच्चे धर्मात्मा की बोली धीमी होती है, क्योंकि अच्छा पुरूष कठिनता को जानता है, वह अवश्य ही संभलकर बोलेगा।