मध्यप्रदेश के सलीम-अनारकली की अमर दास्तान
मध्यप्रदेश के सलीम-अनारकली की अमर दास्तान
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मुरैना: शहजादे सलीम और अनारकली के इश्क़ को हर कोई जनता है सभी ने मोहब्बत की इस कहानी को सुना और देखा है. मगर ऐसी ही एक एक हकीकत चंबल की वादियों में भी कई सालो पहले गुंजी थी. एक ऐसी दासी जिसकी खूबसूरती पर नवाब और राजे-महाराजे जान देने और लेने को आमादा थे, मगर ये नायिका भी शहजादे को पा न सकी और दर्दनाक मौत उसकी मोहब्बत का आखरी अंजाम थी. इस नायिका का मकबरा मुरैना के नूराबाद कस्बे में आज भी है. ईरान में वैश्या सुरैया के यहां 17वीं सदी में एक बेहद मीठी आवाज की मालिक एक बच्ची का जन्म हुआ जिसका नाम ही गन्ना रख दिया गया बाद में वो पिता अली कुली और मां सुरैया के साथ अवध आ गए.

यहां अवध के नवाब सिराजोद्दौला को गन्ना से पहली नज़र में ही प्यार हो गया ,अगर गन्ना तो भरतपुर के शासक सूरजमल के बेटे जवाहर सिंह से मोहब्बत करने लगी थी. सिराजोद्दौला के इरादों को भाप कर गन्ना जवाहर सिंह के पास चली गई जहा सूरजमल ने इसका विरोध किया, जिसके चलते पिता-पुत्र के बीच युद्घ हुआ और गन्ना को सिराजोद्दौला के हवाले कर दिया गया, बाद में सिराजोद्दौला का विवाह उमदा बेगम से इस शर्त पर हुआ की गन्ना सिराजोद्दौला की पत्नी नहीं, बल्कि कनीज बनकर रहेगी इस पर गन्ना भाग कर ग्वालियर में महादजी सिंधिया के शासन में आ गई और खुफिया विभाग में गुनी सिंह बनकर रहने लगी.

वे गन्ना की वीरता के कायल हो गए और उन्होंने गन्ना की हकीकत जाहिर नहीं होने दी.फिर एक बार जासूसी करती गन्ना को सिराजोद्दौला ने पहचान लिया और अपने साथ ले आया और फिर गन्ना ने आबरू बचाने के लिए अंगूठी में मौजूद जहर खा लिया. महादजी सिंधिया ने नूराबाद में 1770 में गन्ना बेगम का मकबरा बनवा कर गन्ना की मातृ भाषा में लिखवाया आह! गम-ए-गन्ना बेगम.

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