अपनी अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए पति-पत्नी हो जाते है अलग
अपनी अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए पति-पत्नी हो जाते है अलग
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टोक्यो: जापान में एक अजीबोगरीब परंपरा शुरु हुई है. एक माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वो अपने बच्चों को सेटल कर लें. इसके बाद वो आराम से चैन से बाकी बची जिंदगी को जीते है. लेकिन जापान के माता-पिता ऐसा नहीं सोचते।

आजकल वहां ऐसे पेरेंट्स की संख्या बढ़ गई है, जो बच्चों के सपने पूरे करने के बाद अपने सपने को पूरा करने में लग जाते है. अपने अधूरे-सपने को पूरा करने के लिए पति-पत्नी दोनों अलग हो जाते है, लेकिन यह तलाक नहीं होता, क्यों कि दोनों के बीच प्यार का रिश्ता अब भी बना रहता है।

इस रिवाज को नाम दिया गया है सोतसुकोन. काजूमी यामामोटो एक साल पहले अपनी पति से अलग होकर हिरोशिमा से टोक्यो चली आईं. बचपन से देखा ब्यूटी क्लीनिक खोलने का सपना वे अब पूरा कर रही हैं. साथ ही सेमिनार के जरिए महिलाओं को बताती हैं कि वे किस तरह अपने पति को सोतसुकोन के लिए मना सकती हैं।

सोतसुकोन शब्द का पहली बार प्रयोग देश के पहुंचे हुए लेखक यूमिको सुगियामा ने अपनी एक किताब में किया था. इसका अर्थ होता है- रेकमेंडिंग द ग्रेजुएशन फ्रॉम मैरिज. आम तौर पर पुरुष परिवार का मुखिया होता है और पत्नी घर संभालती है. हाल के सालों में वहां जन्म दर में गिरावट आई है. साथ ही महिलाओं का जीवन भी लंबा हुआ है, इस हिसाब से महिलाओं की जिंदगी का सबसे बड़ा हिस्सा बच्चों को पैदा करने में चला जाता है।

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