नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति HRD मंत्रालय की वेबसाइट पर की गई जारी
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति HRD मंत्रालय की वेबसाइट पर की गई जारी
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नई दिल्ली : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति से जुड़े मुख्य बिंदुओं को सार्वजनिक किया है। इसमें पांचवी कक्षा तक छात्रों को फेल न करने की नई नीति शामिल है। इसके अलावा ज्ञान के नए क्षेत्रों की पहचान के लिए एक शिक्षा आयोग का गठन करने, शिक्षा के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाकर जीडीपी के कम से कम 6 फीसदी करने और शीर्ष विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में प्रवेश को बढ़ावा देने जैसे कदमों को शामिल किया गया है।

एचआरडी मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2016 के मसौदे के लिए कुछ नपुट नाम के शीर्षक से अपनी वेबसाइट पर रिलीज करते हुए लोगों से इस पर उनकी राय मांगी है। इसमें शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 12-1 सी में भी सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थाओं तक विस्तार के परीक्षण का भी सुझाव दिया गया है।

मंत्रालय की ओर से पेश किए गए इस नए शिक्षा मसौदे में छात्रों को फेल न करने को लेकर संसोधन किया गया है, क्यों कि इससे छात्रों का शैक्षणिक प्रदर्शन खराब हुआ है। सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश अपनी स्वेच्छा से पांचवीं कक्षा तक निर्देश के माध्यम के रूप में मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल कर शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।

दस्तावेज में बताया गया है कि यदि प्राइमरी लेवल पर निर्देश का माध्यम स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा है, तो दूसरी भाषा अंग्रेजी होगी। इसमें संस्कृत की शिक्षा दिए जाने की बात भी कही गई है। उच्च शिक्षा के लिए एक शैक्षणिक आयोग का गठन होगा, जिसमें शैक्षणिक विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। हर पांच साल में इसका नए सिरे से गठन होगा।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पूर्व कैबिनेट सचिव टी एस आर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली एक समिति ने नई शिक्षा नीति तैयार करने को लेकर अपनी रिपोर्ट दी है। इसमें साइंस, मैथ्स और अंग्रेजी के लिए साझा राष्ट्रीय पाठ्यक्रम तैयार करने का सुझाव दिया गया है। मसौदे में स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए भी रुपरेखा तैयार की गई है।

यंग लड़के-लड़कियों के सामने आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित काउंसलरों की सेवा लेने की सलाह दी गई है। इस बात पर भी विचार करने की सलाह दी गई है कि क्या राजनीतिक पार्टियों की इकाइयों को शिक्षण संस्थानों के परिसरों में अनुमति दी जानी चाहिए। असफलता की दर में कमी लाने के लिए साइंस, मैथ्स और इंग्लिश की परीक्षा को दो चरणों में कराने की भी सलाह दी गई है।

पहला उच्च स्तर का होगा और दूसरा निम्न स्तर का। दस्तावेज में कहा गया है कि 10वीं कक्षा के बाद जिन पाठ्यक्रमों या कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए विज्ञान, गणित या अंग्रेजी जैसे विषयों की जरूरत नहीं होगी, उनमें शामिल होने के इच्छुक छात्र पार्ट-बी स्तर की परीक्षा का विकल्प चुन सकेंगे। अभी केंद्रीय और राज्य शिक्षा बोर्ड 10वीं और 12वीं की परीक्षा संचालित करते हैं। दस्तावेज में कहा गया कि छात्रों का स्कूल जिस बोर्ड से संबद्ध होगा, उन्हें उस बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य होगा।

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