यदि अभी अभी माँ बनी है तो बच्चे के आहार का ऐसे रखे ध्यान
यदि अभी अभी माँ बनी है तो बच्चे के आहार का ऐसे रखे ध्यान
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शिशुओं की सामान्य वृद्धि तथा स्वास्थ्यकर विकास के लिये माता का दूध अत्यंत प्राकृतिक तथा संपूर्णआहार है. पीयूष दुग्ध में प्रचुर मात्रा में पोषक तथा प्रति संक्रामक कारक होते हैं तथा उसे शिशुओं को पिलाया जाना चाहिये. शिशुओं स्तन्य आहार देने से संक्रमणों का खतरा कम हो जाता है. इससे माता-शिशु का निकट संपर्क स्थापित होता है तथा माता-शिशु का बंधन सुदृढ़ होता है. जनन-क्षमता पर नियंत्रण द्वारा संतति-अंतराल को बढ़ावा मिलता है (मासिक धर्म पुनः प्रारंभ होने में विलंब होता है).

स्तन्य पोषण गर्भाशय के आकुंचन में सहायक होता है. अपने बच्चों को स्तन्य आहार देने वाली माताओं में स्तन का कैन्सर कम घटित होता है. प्रसवोपरांत एक घंटे के अंदर ही स्तन्य आहार देना प्रारंभ कर दें तथा पीयूष दुग्ध कदापि न फेंकें. कम से कम चार से छह माह तक शिशु का केवल स्तन्य पोषण ही करें. 

संपूरक (स्तन्य-मोचक) आहार प्रारंभ करने के बाद भी दो वर्ष तक स्तन्य पोषण निरंतर जारी रखें. पर्याप्त मात्रा में माता के दूध की आपूर्ति स्थिर करने तथा बनाये रखने के लिये शिशु को बार-बार अथवा उसके माँगने पर स्तन्य आहार दें. गर्भकाल तथा अपना दूध पिलाने की अवधि, दोनों में ही पोषण की दृष्टि से पर्याप्त भोजन करें. शिशु का स्तन्य आहार करने की अवधि में तंबाकू (धूम्रपान तथा चबाना) मद्य तथा औषधियों का सेवन करने से बचें. 

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