भारतीय रसोई की शान हल्दी सचमुच गुणों की खान है. हल्दी की गांठों को चूने के साथ दो महीने एक मटकी में पकाना पड़ता है तब वह चमत्कारिक हो जाती है. दो महीने बाद इस हल्दी का शहद के साथ नियमित सेवन किया जाए तो शरीर का कायाकल्प हो जाता है.
बनाने की विधिः आधा किलो हल्दी की गांठे और एक किलो कली का चूना (पान में खाने वाला) लीजिए. चूना डली के रूप में हो पावडर नहीं. दोनों को एक मटकी में भर कर उसमें करीब दो लीटर पानी भर दीजिए. पानी डालते ही चूना उबलने लगेगा. अब मटकी का मुंह अच्छी तरह बंद कर रख दीजिए. दो माह बाद इसे खोलें और हल्दी की गांठों को कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लें. फिर इन्हें थोड़ा कूट कर मिक्सर में बारीक पीस लें. चमत्कारी हल्दी का पावडर तैयार है.
अब इसे किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लीजिए. रोज सुबह खाली पेट तीन ग्राम पावडर (चने बराबर) शहद के साथ चाटिए. करीब एक घंटे तक कुछ खाएं पीए नहीं. कम से कम चार महीने तक सेवन करें. इससे शरीर का कायाकल्प होने लगता है. बंद रक्त वाहिनियां खुल जाती हैं. बाल असमय सफेद हो गए हों तो काले होने लगते हैं. उगने भी लगते हैं. उसमें कुछ अतिरंजना भी है, जैसे गिद्ध सी दृष्टि और हाथी सा बल आ जाता है. आप भी प्रयोग कर अनुभव शेयर कीजिए. आयुर्वेद में ऐसे अनेक नुस्खों का खजाना भरा पड़ा है, जरूरत है इन्हें नए सिरे से शोध कर आजमाने की.