हाई कोर्ट के जज किसी केस की सुनवाई के लिए लेते है मात्र 5-6 मिनट
हाई कोर्ट के जज किसी केस की सुनवाई के लिए लेते है मात्र 5-6 मिनट
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नई दिल्ली : किसी भी जज के लिए किसी मामले में न्याय देना कितना कठिन कार्य है, इसका हम मात्र अंदाजा भर लगा सकते है। इन जजों को इस काम के लिए मात्र 5-6 मिनट दिए जाते है। देश में पहली बार किए गए अध्ययन से पता चलता है कि जजों पर अपने काम का कितना प्रेशर रहता है।

इस अध्ययन के मुताबिक हाई कोर्ट के जजों को 5 मिनट से भी कम का समय मिलता है। न्यायपालिका की कार्यप्रणाली को जानने के लिए गैर सरकारी संगठन दक्ष ने सर्वे किया था। एनजीओ की रिपोर्ट के अनुसार, देश के जज किसी भी मामले की सुनवाई के लिए 15-16 मिनट का समय लेते है और जो जज सबसे अधिक बिजी रहते है, वो सुनवाई के लिए ढाई मिनट का ही समय दे पाते है।

कलकता हाई कोर्ट में एक जज के पास रोजाना 163 केस लिस्टेड होती है। जिसकी सुनवाई के लिए पांच से साढ़ें पांच घंटे का समय दिया जाता है। इस हिसाब से वहां के जजों को एक केस की सुनवाई के लिए मात्र 2 मिनट का ही समय मिल पाता है।

ठीक इसी तरह बड़ी तादाद में मुकदमों के लिस्टेड होने के कारण पटना, हैदराबाद, झारखंड और राजस्थान हाई कोर्ट के जज रोजाना हर मुकदमे पर दो से तीन मिनट का वक्त दे पाते हैं। यही हाल इलाहाबाद, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश व उड़ीसा का भी है, वहां के जजों को भी ओसतन 4-6 मिनट का मक्त मिलता है। अध्ययन में 21 हाइ कोर्ट के 19 लाख मामलों और 95 लाख सुनवाई का विश्लेषण किया गया।

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