हेमंत सरकार लाएगी 'हमीन कर बजट', जानिए क्या है ये?
हेमंत सरकार लाएगी 'हमीन कर बजट', जानिए क्या है ये?
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रांची: झारखंड सरकार वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट की तैयारी में जुट गई है। वह इस बजट से लोगों की कनेक्ट करने के लिए कई प्रोग्राम का आयोजन कर रही है। इसके तहत हेमंत सरकार ने बजट को 'हमीन कर बजट' नाम दिया है मतलब स्थानीय भाषा में इसके मायने हैं 'हम लोग का बजट'। इसी नाम से एक वेबसाइट भी आरम्भ की गई है। वेबसाइट पर बजट को लेकर सुझाव मांगे गए हैं।

प्राप्त खबर के अनुसार, अब तक 830 से अधिक सुझाव प्राप्त हो चुके हैं, जिनकी स्क्रीनिंग की जा रही है। बेहतर सुझाव को बजट में सम्मिलित किया जाएगा। जाहिर है कि इससे सरकार को आम लोगों का मूड और उसकी आवश्यकता का पता चलेगा। साथ ही सरकार को बजट तैयार करने में सहायता मिलेगी तथा लोगों के एजेंडे को बजट में जगह मिल पाएगी।

झारखंड में आर्थिक मामलों के जानकार प्रोफेसर हरिश्वर दयाल ने कहा कि 2022-23 के बजट को हमर बजट नाम दिया गया था। उस समय अलग-अलग सेक्टर से 651 सुझाव आए थे, इनमें से 7 सुझावों को इनकॉरपोरेट किया गया था। उन सुझावों में कोल्ड स्टोरेज का निर्माण, सोलर एनर्जी पॉलिसी में सोलर पैनल के निर्माण को प्राथमिकता, डिजिटल पंचायत, स्टार्टअप के लिए सीड फंड, एमएसएमई क्लस्टर का गठन, सीएचसी एवं पीएचसी स्तर के सरकारी चिकित्सालयों का सुदृढ़ीकरण एवं लाइवलीहुड प्रमोशन के तहत पलाश ब्रांड को प्रमोट करना सम्मिलित था। उस बजट को प्राप्त हुई अच्छी प्रतिक्रिया को देखते हुए आम लोगों को जोड़ने के लिए इस परिपाटी को आरम्भ किया गया है। जीडीपी क्रेडिट रेसियो के मामले में झारखंड को टॉप टेन की सूची में रखा गया था, इस पर हरिश्वर ने कहा कि झारखंड की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी है। RBI की लिस्ट में मार्जिनल तौर पर झारखंड सम्मिलित हुआ था। यह राज्य रेवेन्यू सरप्लस स्टेट है। उनसे यह पूछा गया कि अगर ऐसा है तो कई सेक्टर में वक़्त पर लोगों को पेमेंट क्यों नहीं हो रहा है? इस पर उन्होंने कहा कि यह डिपार्टमेंटल मसला हो सकता है किन्तु आर्थिक तौर पर झारखंड की स्थिति मजबूत है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट को आउटकम बजट नाम दिया गया था। वह बजट एक लाख एक हजार एक सौ एक करोड़ का था, जबकि उसके पहले वाले साल में 91,277 करोड़ का बजट पेश हुआ था। उन्होंने कहा कि रोजगार, शिक्षक की बहाली, विभागों में रिक्त पड़े जगह को भरने और कई नई  स्कीम लागू करने पर आने वाले खर्च से निपटने के लिए बजट का प्रावधान तो सरकार को करना ही होगा। साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निरंतर हो रहे काम के लिए भी सरकार को प्रोविजन करना होगा।

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