भेदभाव की भी हद होती है जनाब
भेदभाव की भी हद होती है जनाब
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कहा जाता है की समय के साथ सब कुछ बदल जाता है। लेकिन फिर भी कुछ चीज़े ऐसी होती है जो कभी नहीं बदलती। जैसे भेदभाव करना। भारत में यह परम्परा बहुत ही पुरानी है जो की बरसो से चली आरही है। लेकिन ऐसा भी क्या भेदभाव करना की किसी को होटल के अंदर ही नहीं आने दिया जाए।

जी हाँ हाल ही में ऐसी ही एक घटना कोलकाता शहर में हुई, जहां एक होटल में एक व्यक्ति को केवल उसके कपड़ों की वजह से अंदर नहीं आने दिया गया। इसके खिलाफ उस व्यक्ति के साथ मौके पर मौजूद महिला ने यह वाकया फेसबुक पर पोस्ट कर दिया। जिस पर उन्हें हज़ारो लोगो का समर्थन प्राप्त हुआ। दरअसल कोकता में रहने वाली एक महिला दिलाशी हेमनानी ने अपना शुक्रवार का दिन काफी व्यस्तताओ में गुजरा। इस वजह से वो अपने ड्राइवर को दोपहर के भोजन का कहना ही भूल गयी। और ड्राइवर भी पुरे दिन भूखा रहकर गाडी चलाता रहा। बाद में जब दिलाशी को याद आया तो वो अपने इस व्यवहार पर काफी शर्मिंदा हुई। और अपने ड्राइवर को लेकर शहर के सबसे अच्छे रेस्टोरेंट मोकैम्बो में गयी।

जब वहां पहुचकर उन्होंने स्टाफ को 2 टेबल बुक करने को कहा तो स्टाफ ने उन्हें 15 मिनिट इंतज़ार करने के लिए कह दिया। लेकिन कुछ समय बाद जब उन्होंने मनीष (ड्राइवर) को उनके साथ देखा तो उन्होंने कहा की 45 मिनिट लगेंगे। जब Dilashi ने कहा कि 'क्या आपके रेस्टोरेंट का कोई ड्रेस कोड है, तो उन्होंने मना कर दिया'. उसके बाद जब वो उनके इस व्यवहार को गलत बताने लगी, तो उन्होंने बहाना बनाते हुए कहा कि मनीष शराब पिए हुए हैं, इसलिए वो उसे अन्दर नहीं आने दे सकते हैं। Dilashi ने इसके जवाब में कहा कि वो सुबह से उनके साथ है और उसने शराब नहीं पी रखी है।

रेस्टोरेंट स्टाफ के इस व्यवहार से हताश होकर Dilashi ने मैनेजर को बुलाने को कहा, लेकिन किसी ने मैनेजर को नहीं बुलाया। जब Dilashi ने स्टाफ मेम्बर से उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम बताने से मना कर दिया. स्टाफ के इस तरह के अमानवीय व्यवहार को देख कर Dilashi निराश होकर उस रेस्टोरेंट से बाहर निकल आई।

इतिहास की किताबों में स्कूल में पढ़ा था कि अंग्रेज़ जब भारत पर राज किया करते थे, तो उनके होटल में भारतीयों और कुत्तों का जाना मना था। आज़ादी के बाद भी कुछ लोग आज भी होटल और रेस्टोरेंट के दरवाज़े के बाहर ही खड़े रह जाते हैं. यह सब देख कर एक सवाल मन में आता है, क्या आज भी सबको आज़ादी मिल पाई है?

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