नवरात्री के चौथे दिन ऐसे करें कुष्मांडा माता को प्रसन्न
नवरात्री के चौथे दिन ऐसे करें कुष्मांडा माता को प्रसन्न
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हिन्दू धर्म के मुताबिक नवरात्रि का त्यौहार पूरे नौ दिनों तक मानया जाता है. यह नौ दिन अलग-अलग माताओं के दिन होते है लेकिन नवरात्र के चौथे दिन कुष्मांडा माता का दिन होता है. ये माता की पूजा अराधना करने से तपो बल, ज्ञान, और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है, कुष्मांडा माता की पूजा करने से साधक को उच्च फल की प्राप्ति होती है.

कुष्मांडा माता का रूप सुन्दर, मोहक और चेहरे पर तेज़ रहता है कुष्मांडा माता की सवारी शेर है जो अत्याचारों को नाश करने का प्रतीक भी है. ये माता आठ भुजाओं वाली माता है इनके हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, अमृत का कलश, चक्र और गदा है, और इनके आठवे हाथ में सिद्धि की माला होती है, मां कुष्मांडा को बलियों में कुम्हड़े की बालि बहुत पसंद है, मां कुष्मांडा नाम के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है.

माँ कुष्मांडा का निवास स्थान सूर्य मंडल में है, इसलिए मां के चेहरे पर सूर्य के समान तेज रहता है, मां की आराधना करने से भक्तों के सारे रोग, कष्ट दूर हो जाते है. मां कुष्मांडा को खुश करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

जिन औरतो के माथे बड़े और चौड़े होते है. उन औरतो पर कुष्मांडा माता का आशीर्वाद बना रहता है. इसलिए इन औरतो को नवरात्री के चौथे दिन भोजन कराना चाहिए, और भोजन में दही जरुर खिलायें और इन्हें विदा करते वक्त शादीशुदा औरतो का पूरा श्रंगार खरीद कर दान में देना चाहिए.

 

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