सरकार ने उग्रवादियों के
सरकार ने उग्रवादियों के "दुश्मनों" की मदद ठुकराई
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नई दिल्ली : केंद्र सरकार के साथ मिलकर NSCN -IM ने अपने दुश्मन NSCN-K के विद्रोहियों को खोज कर खत्म करने में सुरक्षा बलों की मदद करने की इच्छा जताई है, लेकिन केंद्र सरकार ने उसकी इस इच्छा को ठुकरा दिया है। NSCN के विद्रोहियों द्वारा मणिपुर में सेनाबल पर किए गए हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार NSCN-IM ने सुरक्षा बलों से यह इच्छा जाहिर की थी की 4 जून की घटना के फौरन बाद मणिपुर, नगालैंड एवं भारत-म्यामांर सीमा के उस तरफ NSCN-K उग्रवादियों पर चलाए जा रहे अभियान में शामिल होना चाहते है।

बहरहाल, सरकार ने NSCN -MI की इस पेशकश को यह कहकर ठुकरा दिया कि वह नगा विद्रोही समूह से निपटने में सक्षम है। सेना के विशेष बालो ने मिलकर मंगलवार को म्यामांर के काफी भीतर विद्रोही शिविरों को नष्ट किया और उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया। NSCN-IM के दो शीर्ष नेता इसाक चिशी स्वू एवं थुइनगालेंगे मुइवाह एक समय NSCN-k के प्रमुख एस.एस. खापलांग के नजदीकी मित्र थे। तीनों ने नवंबर 1975 के शिलॉन्ग समझौते के खिलाफ विद्रोह किया था। इस समझौते पर अनगामी जापू फिजो की नगा नैशनल काउंसिल ने हस्ताक्षर किए थे।

उसके बाद तीनों नेताओं ने NSCN (नैशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल आफ नगालैंड) का गठन किया था। अप्रैल 1988 में खापलांग ने मुइवाह के जीवन पर असफल हमला करने के बाद NSCN-K गठन की घोषणा की थी। खापलांग हाल में गठित यूनाइटेड नैशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ वेस्टर्न साउट ईस्ट एशिया की अध्यक्षता कर रहा है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के पांच विद्रोही संगठनों का मंच है जिसमें उल्फा, PLA एवं NDFB शामिल है। NSCN-K द्वारा कुछ अन्य संगठनों ली मदद से 4 जून को मणिपुर के चंदेल जिले में घात लगाकर सेना पर किए गए हमले में 18 सैनिकों के शहीद हो जाने के लिए जिम्मेदार है।

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