कश्मीर में अलगाववादियों से सुरक्षा वापस लेगी सरकार
कश्मीर में अलगाववादियों से सुरक्षा वापस लेगी सरकार
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कश्मीर : कश्मीर के अलगाववादी नेताओं जो कि जम्मू कश्मीर की आजादी के नाम पर हिंसा को बढ़ावा देते हैं उनके लिए यह बुरी खबर है कि अब अलगाववादियों की सुविधाएं बंद हो जाएंगी। अलगावादियों को अब हवाई टिकट, कश्मीर से बाहर जाने पर होटल और वाहन की सुविधाएं मिलना बंद हो रहा है। केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाली सुविधाएं बंद करने का निर्णय ले लिया गया है जबकि रियासत सरकार से मिलने वाली सुविधाओं को बंद करने के लिए केंद्र ने सलाह दी है।

अलगाववादियों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को वापस लेने का फैसला रियासत सरकार को लेना है। वर्तमान में इन लोगों की सुरक्षा में 950 पुलिसकर्मी तैनात हैं। तो दूसरी ओर अलगाववादियों पर सालाना 100 करोड़ का खर्च आता रहा है। रियासत कालीन सरकार के सूत्रों के मुताबिक अलगाववादियों पर हो रहे खर्च का कुछ हिस्सा केंद्र उठाता रहा है। केंद्र अब इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। रियासत सरकार कुल खर्च का लगभग दस प्रतिशत उठाती है। अलगाववादियों और कुछ आतंकी संगठनों में भी कई मुद्दों पर मतभेद है।

इस कारण कुछ अलगाववादियों को सुरक्षा दी गई है। इसकी वापसी के संबंध में राजनीतिक स्तर पर फैसला लिया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक अलगाववादियों पर केंद्र और रियासत की ओर से हर साल लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। यह खर्च केंद्र और रियासत सरकार द्वारा उठाया जाता रहा है। दरअसल कश्मीर में शांति प्रयासों के तहत केंद्र सरकार ने अलगाववादियों को अलग करने की रणनीति बनाई है। इसके तहत कश्मीर के सिविल सोसायटी और प्रमुख सियासी दलों से सर्वदलीय समिति बातचीत करेगी।

अलगाववादी नेता ग‌िलानी व उदारवादी अलगाववादियों को तभी शामिल किया जाएगा जब वे जम्हूरियत, इंसानियत और कश्मीरियत के अटल सिद्धांत पर विश्वास रखते हैं। इसी सिद्धांत पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने अलगाववादियों से बातचीत शुरू की थी। गिलानी को संविधान के दायरे में बातचीत मंजूर नहीं है। वहीं केंद्र ने गिलानी को तरजीह नहीं देने की रणनीति पर काम शुरू किया है। इसके तहत गिलानी के बेटे से पूछताछ की तैयारी है। एनआईए ने अलगाववादियों के गिलानी गुट के मोहम्मद अशरफ सेहरई और पीर सैफुल्लाह से पूछताछ की है।

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