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नई दिल्ली : कारगिल मसले पर सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की ओर से धीमी कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। इस दौरान कहा गया कि शहीदों के लिए इस तरह से धीमा कार्य करना सही नहीं है। मामले को लेकर न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेना द्वारा तैयार की गई नई नीतियों पर भी चर्चा की।
इस दौरान कहा गया कि जस्टिस ठाकुर ने दलील पर आपत्ति जताते हुए कहा कि देश के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले के लिए सरकार को संजीदगी से काम करना जरूरी है।
यही नहीं यदि इस मसले पर जल्द कार्रवाई की जाती तो आर्मड कैजुलिटी को कम किया जा सकता था।
मामले में एएसजी ने कहा कि अजय विक्रम सिंह की रिपोर्ट में कहा गया कि सीमा पर यूनिट्स की कमान ऐसे अधिकारियों को दी जा सकती थी जिनकी उम्र कम हो।
मगर इसके चलते बख्तरबंद कोर, मैकेनाईज्ड इनफैंट्री, सिग्नल्स कोर, आर्डिनेंस कोर के अधिकारियों के लिए कर्नल और इससे उंचे पद आर्टिलरी और इनफैंट्री के मुकाबले कठिन हो गए।
बीते माह सशस्त्र बल ट्रिब्युनल ने समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए नई प्रोन्नति नीति को रद्द कर दिया था मगर केंद्र सरकार ने ट्रिब्युनल के निर्णय को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी गई।