जर्मनी से भारत घूमने आयीं थी लेकिन लग गयी गौ सेवा में
जर्मनी से भारत घूमने आयीं थी लेकिन लग गयी गौ सेवा में
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हिन्दू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है. हमारे देश में गाय को काफी महत्त्व दिया जाता है लेकिन इसी देश में सैकड़ों ऐसी गायें है जो सड़कों पर बदहाल हालत में भटकने के लिए मजबूर है. हम रोज ऐसी गायों से ट्रैफिक में रूबरू भी होते है लेकिन हमारे लिए यह आम बात हो गयी है. हालांकि जर्मनी से भारत घूमने आयी एक महिला से गायों की ऐसी हालत नहीं देखी गयी और उन्होंने यहीं रह गायों की देखभाल करने का फैसला कर लिया.

जर्मनी से भारत आयीं 59 वर्षीय 'फ्रियेडरिक इरिना ब्रुनिंग', मथुरा के एक गुरु से मिलने आयीं थी. जहाँ उन्होंने सड़कों पर बैठी आवारा गायों को देखा. इसके बाद उन्हें पता चला कि जो गायें दूध देना बंद कर देती है उन्हें लोग सड़को पर छोड़ देते है. ये बात ब्रूनिंग को झकजोर गयी और उन्होंने इन गायों की सेवा करने का मन बनाया. ब्रूनिंग ने 'सुरभि गौसेवा निकेतन' की शुरुआत की जिसमे आज 1200 से अधिक गायें मौजूद है.

इस गौशाला में बीमार गायों का इलाज और देखभाल भी की जाती है. ब्रुनिंग की इस गौशाला में करीब 60 लोग काम करते है. आपको बता दें कि, ब्रुनिंग जर्मनी में अपनी कुछ प्रॉपर्टी बेंच कर भारत में यह नेक काम कर रही है. इस निकेतन की रख रखाव के अलावा बाकी कामों में कुल 22 लाख रूपए का खर्च आता है. ब्रुनिंग के पिता उन्हें जर्मनी से पैसे भेजते है. हालांकि उन्हें फिलहाल वीजा पॉलिसी में कुछ बदलावों की वजह से परेशानी झेलनी पड़ रही है.

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