कई सालों तक भींख मांगने पर मजबूर रही आर्मी अफसर की बेटी, बताई पूरी कहानी
कई सालों तक भींख मांगने पर मजबूर रही आर्मी अफसर की बेटी, बताई पूरी कहानी
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दुनिया में कई ऐसे लोग है जिन्हे किस्मत और हालातों की वजह से जिंदगी को काफी करीब से समझने का मौका मिला है हालांकि इस दौरान उन्हें किस प्रकार के कष्टों और मुश्किलों का सामना करना पड़ा इसका अंदाजा हम या आप नहीं लगा सकते. आज हम आपको एक ऐसे ही भाई बहन के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने अपने माता-पिता के देहांत के बाद ऐसी खौफनाक जिंदगी का सामना किया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. लखनऊ में रहने वाले भाई-बहन अरुण और अंजना अपने पेरेंट्स की डेथ के बाद इतने सदमे में आ गए थे कि बरसों तक बाहरी दुनिया से नाता तोड़े रखा और खुद को 12 सालों तक घर में कैद रखा. अंजान की जुबानी सुनिए उनकी दर्द भरी कहानी.

अंजना बताती है कि, "हमारी फैमिली इंदिरा नगर में शालीमार चौराहे के पास रहती थी. मेजर बिपिन चंद्र भट्ट - कुमाऊं रेजिमेंट में मेजर थे. रिटायरमेंट के बाद वे सचिवालय प्रोटोकॉल विभाग अंडर सेक्रेटरी रहे. तीन भाई-बहनों में मैं दूसरे नंबर पर हूं. 2004 में एक रोड एक्सीडेंट में मम्मी-पापा की डेथ हो गई. तब मैं 22 साल की थी. मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी में एमए फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया ही था, लेकिन उस हादसे के बाद मेरी पढ़ाई छूट गई."

उन्होंने  बताया कि "मां-पापा को खोने के बाद सदमे में मेरी बड़ी बहन डिप्रेशन में चली गई थी. कुछ समय बाद उसकी भी डेथ हो गई. वो मुझसे बहुत प्यार करती थी. अपने तीन करीबियों को खोने के बाद मैंने और भाई ने खुद को अपने घर में कैद कर लिया. हम दोनों की लाइफ मानो वहीं थम-सी गई. बस गुमसुम घर में बैठे रहते थे. बाद में घर की बिजली-पानी की सप्लाई भी कट गई. घर भी खंडहर में तब्दील होने लगा. फिर हमारी जिंदगी में क्या हुआ, कुछ याद नहीं, जैसे मेमोरी से पिछले 12 साल डिलीट हो गए हों"

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