सुरक्षित रंग ही अपनाएं बालों में
सुरक्षित रंग ही अपनाएं बालों में
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प्रकृति ने हमारे जीवन को रंगों से इस प्रकार संजोया है कि हम रंगों की रंगीनियों में जीने के आदी हो गए हैं। पिछले एक दशक से फैशन जगत ने रंगों को इतना बढ़ाया है कि कपड़ों से लेकर जूते-चप्पल व सौंदर्य प्रसाधनों में हर रंग का इस्तेमाल होने लगा है। काला, नीला, बैंगनी, सफेद से लेकर ऐसे और कई रंगों की लिपस्टिक या नेल पालिश, जो पहले कभी हम लगाना सोच भी नहीं सकते थे आज सबसे पहले इन्हीं रंगों की ओर लपकते हैं। यह रंगों का क्रम अब बढ़ते-बढ़ते केशों तक भी आ गया है। अब तो यदि केशों में रंग नहीं जंच रहा हो तो उसे लिपस्टिक, नेल पालिश या आई लैंस की तरह फ़ोरन  ही बदल डाला जा सकता है। वैसे तो चूंकि केशों में रंग उनके अपने प्राकृतिक रंग को बदल कर चढ़ाया जाता है और वह दो महीने से लेकर छह महीने तक या इससे भी अधिक समय तक केशों पर चढ़ा रहता है इसलिए केशों को रंगने से संबंधित संपूर्ण जानकारी होना बहुत जरूरी है।

केशों को इस प्रकार रंगें: कलर शैंपू-केशों को रंगने के लिए वैसे तो कलर शैंपू, केमिकल्स कंपाउंड, हेयर डाई, कलर स्टिक तथा नेचुरल डाई के रूप में हिना का काफी  चलन है लेकिन आजकल केशों को रंगने के लिए खासतौर पर कलर शैंपू व केमिकल्स कंपाउंड का प्रयोग हो रहा है। कलर शैंपू बाजार में कई प्रकार के रंगों में उपलब्ध है। यह खासकर सफेद केशों को काले, भूरे, लाल या बैंगनी रंग में अस्थायी तौर से रंगने के लिए प्रयोग होते हैं या फि र हल्के भूरे केशों को या ब्लीच हुए केशों को अस्थायी तौर पर कोई भी एक रंग देने के लिए इस्तेमाल होते हैं। कलर शैंपू केशों को रंगने की एक अस्थायी विधि है. इसका असर केशों पर लगभग आठ से दस बार शैंपू करने तक रहता है जबकि कलर कंपाउंड द्वारा रंगे हुए केश काफी  समय तक रंगीन रहते हैं।

कलर कंपाउंड: केशों को कलर कंपाउंड द्वारा रंगने की विधि वही लोग अपनाते हैं जो शौकिया तौर पर केश रंगना चाहते हैं। इसलिए यह विधि घरेलू न होकर व्यावसायिक रूप से अधिक प्रचलित है। केशों को कुछ महीने के लिए किसी भी रंग में रंगने के लिए इस विधि में पहले तो केशों का स्वाभाविक कालापन हटा कर ब्लीच किया जाता है। उसके बाद इन पर इच्छित रंग चढ़ाया जाता है इसलिए यह विधि इतनी आसान नहीं है।

हेयर डाइ: यह मूलत: सफेद केशों को काला करने के लिए ही प्रचलित है। डाई रासायनिक होता है व केश बढऩे के साथ ही केशों में सफेदी आने पर इसे दोबारा लगना पड़ता है इसलिए बार.बार रसायनयुक्त डाई का प्रयोग केशों को कमजोर बनाता है।

स्टिक कलर: स्टिक कलर क्रेयान के रूप में बाजार में उपलब्ध है। यह केशों को अस्थायी तौर पर ही रंगते हैं। इस विधि से केशों को रंगना इतना आसान होता है कि इच्छित रंग की स्टिक लेकर उसे केशों की लटों पर रगडऩे से ही केशों में रंग चढ़ जाता है और एक-दो बार शैंपू से केश धोने पर रंग आसानी से निकल भी जाता है।

हिना: हिना यादि मेंहदी केशों को प्राकृतिक रूप से रंगने की एक अस्थायी विधि है। मेंहदी का रंग केशों में गहरा लाल या भूरेपन में आता है। मेंहदी चूंकि एक वनस्पति है इसलिए इसका केशों पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। वर्षा के दिनों में या जल्दीजल्दी मेंहदी के इस्तेमाल से तथा उसे अच्छी प्रकार से केशों से न निकाल पाने के कारण केश रूखे हो जाते हैं व मेंहदी के बारीक कण सिर में रह जाने से सिर की त्वचा में खुजली व फंगस की शिकायत हो जाती है।

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