महाकाल दर्शन पश्चात बदले मंदिरों के ध्वज
महाकाल दर्शन पश्चात बदले मंदिरों के ध्वज
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उज्जैन। हमारी प्राचीन संस्कृति में ऐसे गूढ़ रहस्य भी छुपे है जो नई पीढ़ी को अभी ज्ञात नहीं है, हिन्दू नववर्ष गुड़ीपड़वा को मनाये जाने के तमाम कारण है और सबसे महत्वपूर्ण बिंदू यह हमारी सनातन संस्कृति की पहचान है। आज से न सिर्फ विक्रम संवत की शुरूआत हुई थी बल्कि इतिहास उठाकर देखे तो पता चलेगा कि तमाम बेहतर कार्यो की शुरूआत आज ही के दिन हुई है। यह बात विश्व हिन्दू परिषद मालवा प्रांत के संगठन मंत्री ब्रजकिशोर भार्गव ने कहीं। 

बजरंगदल उज्जैन जिला के 300 कार्यकर्ताओं ने बाबा महाकाल की भस्मार्ती कर मदिर में परिसर में आतिशबाजी की एवं श्रद्धालुओं को दुर्गा वाहिनी द्वारा रक्षा सूत्र एवं तिलक लगाकर मिश्री और नीम का वितरण किया। विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद थे। सभी ने एक दूसरे को हिन्दू नववर्ष की बधाईयां दी और गुड़ मिश्री का वितरण भी किया। पश्चात शहर के  विभिन्न मंदिरों के शिखर ध्वज भी बदलें। 

हिन्दू नववर्ष पर विशेष तौर पर उज्जैन आये विश्व हिन्दू परिषद मालवा प्रांत के संगठन मंत्री ब्रजकिशोर भार्गव ने बताया कि भारतीय संस्कृति के अनुसार आज से ही नववर्ष का आंरभ हुआ है। नववर्ष के मनाने के पीछे बहुत सारे कारण है। किसान विद्यार्थीं, व्यवसायी इन सभी के लिये आज से ही नये वर्ष की शुरूआत होती है। किसान अपनी नई फसल की शुरूआत करता है, विद्यार्थी अपनी नई कक्षाओं की शुरूआत करते है, और व्यवसायी अपना नया लेखा जोखा तैयार करता है और सबसे महत्वपूर्ण प्रकृति में भी बदलाव होता है। पेड़  पुराने पत्ते छोड़ नया रूप धारण करते है। इसी लिये हम सभी को नया वर्ष गुड़ी पड़वा से मनाना चाहिये। 

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