उत्तर प्रदेश के कानपूर में एक वकील द्वारा इच्छामृत्यु की वसीयत रजिस्ट्री का पहला मामला देखने मिला है. किदवई नगर में रहने वाले 35 वर्षीय वकील शरद कुमार त्रिपाठी ने रजिस्ट्री ऑफिस में लिविंग विल यानि इच्छामृत्यु की वसीयत रजिस्टर कराई है.
शनिवार को शरद पूरे दस्तावेज और जूनियर वकील अमितेश सिंह सेंगर के साथ रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचे गए और जब रजिस्ट्री ऑफिस में अधिकारियों ने उनकी लिविंग विल (इच्छामृत्यु ) वाली अर्जी देखी तो सब परेशान हो गए हालाँकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए रजिस्टर हो सकी पर इससे पहले उन्होंने लिविंग विल के साथ स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी जोड़ा.
शरद ने अपनी इच्छामृत्यु की वसीयत अपने जूनियर वकील अमितेश सिंह सेंगर के नाम कराई है लेकिन अधिकारियों का शरद से प्रश्न यही था कि क्यों आपको इसकी जरूरत पड़ रही है? तो इस सवाल पर शरद ने कहा कि परिवार के लोग संकट और मोह की स्थिति में सटीक फैसला लेने में असमर्थ हो जाते हैं ऐसे में कोई समझदार इंसान ही निर्णायक फैसला ले सकता है. वकील शरद कुमार त्रिपाठी के परिवार में पत्नी और दो बच्चों के अलावा बुजुर्ग माता-पिता हैं फिर भी उन्होंने अपने जूनियर को यह कानूनी अधिकार दिया.
गौरतलब है कि 10 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु पर एक अहम फैसला सुनाया था जिसके बाद देश में इच्छामृत्यु की वसीयत रजिस्ट्री का संभवतः पहला मामला देखने मिल रहा है.
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