May 24 2015 03:25 PM
फेसबुक माता की जय फेस टू फेस जब मिले करे न कोई बात।
फेसबुक पर बात करें, दिन देखें न रात।।
इंटरनेट ने गढ़ दिया, एक नया व्यवहार।
हमें जानते वे नहीं, ‘हाय’ करें हर बार।।
एक दोस्त ने लिख दिया, दे दूं अपनी जान।
200 लाइक आ गए, दर्द से सब अंजान।।
फेसबुक पर नित होती कविता की भरमार।
भाव ढूढ़े न मिलें, बस शब्दों की भरमार।।
फेसबुक की महिमा का कैसे करूं बखान।
ऑनलाइन सब जान से प्यारे, पड़ोसी अंजान।।
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