फेसबुक की महिमा हुई निराली
फेसबुक की महिमा हुई निराली
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फेसबुक माता की जय फेस टू फेस जब मिले करे न कोई बात।

फेसबुक पर बात करें, दिन देखें न रात।।

                           इंटरनेट ने गढ़ दिया, एक नया व्यवहार।

                           हमें जानते वे नहीं, ‘हाय’ करें हर बार।।

एक दोस्त ने लिख दिया, दे दूं अपनी जान।

200 लाइक आ गए, दर्द से सब अंजान।।

                           फेसबुक पर नित होती कविता की भरमार।

                           भाव ढूढ़े न मिलें, बस शब्दों की भरमार।।

फेसबुक की महिमा का कैसे करूं बखान।

ऑनलाइन सब जान से प्यारे, पड़ोसी अंजान।।

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