ढाका : बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार किए जाने का सिलसिला लगातार जारी है। हालात ये हैं कि यहां से हिंदुओं द्वारा तकलीफों से परेशान होकर पलायन किया जा रहा है। बांग्लादेश के हालात को लेकर विशेषज्ञों ने कहा कि यदि देश में इसी तरह से पलायन होता रहा तो फिर आने वाले 30 वर्ष में स्थिति इतनी गंभीर हो जाएगी कि बांग्लादेश में हिंदु ही नहीं बचेंगे। इस मामले में एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशन किया गया है जिसमें ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ. अब्दुल बरकत के हवाले से जानकारी दी गई है।
इस मामले में कहा गया है कि तीन दशक में बांग्लादेश में एक भी हिंदु नहीं रह पाएगा। यहां के हालात ऐसे हैं कि हिंदुओं को पलायन करना पड़ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार ढाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बरकत ने अपनी एक पुस्तक के विमोचन के तहत काफी बातें कहीं। जिसमें हिंदुओं के पलायन और शोषण की बात सामने आई है।
उन्होंने अपनी पुस्तक में बुनो समुदाय का उल्लेख किया है और साथ ही पुस्तक को लेकर कहा है कि उनकी यह पुस्तक उनके दोस्तों को समर्पित है जो कि बुनो समुदाय के थ। यह समुदाय बांग्लादेश से नदारद हो चुका है और अब बांग्लादेश में इस समुदाय के निशान तक नहीं मिलते हैं। हिंदुओं के पलायन के हालात ये रहे हैं कि वर्ष 1964 से 2013 के बीच लगभग 1 करोड़ 13 लाख हिंदुओं ने धार्मिक भेदभाव और उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश छोड़ दिया।
हालात ये हैं कि यहां पर बड़े पैमाने पर हिंदू देश से पलायन कर रहे हैं। सालदर साल हिंदुओं के पलायन का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। हालात ये हैं कि वर्ष 2012 में हिंदुओं के पलायन का आंकड़ा 774 पर पहुंच गया। ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अजय राॅय ने हिंदुओं के पलायन पर अपने विचार व्यक्त किए जिसमें उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के अधिशासन के काल में यहां रहने वाले हिंदुओं की जमीनें छीन ली गई थीं।
इतना ही नहीं बांग्लादेश को आजाद करवाए जाने के बाद भी हिंदुओं की संपत्ती सरकारी कब्जे में ही रही। ऐसे में अधिकांश हिंदुओं की जमीनें छीन लगी गईं। इस मामले में सेवानिवृत्त न्यायाधीश काजी इबादुल हक ने भी इस बात का समर्थन किया कि गरीबों और अल्पसंख्यकों से जमीन से उनका कब्जा छिन लिया गया था और उन्हें जमीन पर अधिकार रखने से अलग कर दिया गया था।