नई दिल्ली : पहले जहां भारत सेना के पूर्व सैनिकों ने वन रैंक वन पेंशन के लिए आवाज़ उठाई वहीं अब अर्द्धसैनिक बलों से सेवानिवृत्त हो चुके सैन्यकर्मियों ने भी अपने लिए वन रैंक वन पेंशन की मांग की है। इन बलों के पूर्व सैनिकों का कहना है कि वे देश की पहली रक्षा पंक्ति में होते हैं। कई बार सेना के ये जवान ऐसी विषम परिस्थितियों में कार्य करते हैं जो किसी के लिए भी आसान नहीं होती है। फिर ये जवान अपने परिवार से दूर रहते हैं। सीमा पर इन अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती सबसे अधिक होती है।
ऐसे में इनके परिवारों को वन रैंक वन पेंशन के माध्यम से इनके न रहने पर वाजिब आर्थिक लाभ मिल सकता है। यही नहीं अपनी मांगों को लेकर अब ये पूर्व सैनिक जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने की योजना तैयार कर रहे हैं। इन पूर्व सैनिकों का कहना है कि बिहार से बड़ी संख्या में जवान अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती हैं।
बिहार में चुनावी दौर है और भाजपा अपनी जीत के लिए हर तरह के प्रयास कर रही है। इस मामले में अखिल भारतीय केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल पूर्व सैनिक संगठन के पदाधिकारियों ने कहा है कि आखिर मां भी बच्चे को तब तक दूध नहीं पिलाती है जब तक वह रोता नहीं है।