क्या आप जानते है सिंहस्थ और कुंभ में अंतर
क्या आप जानते है सिंहस्थ और कुंभ में अंतर
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भारत में बहुत ही प्राचीन समय से ही कुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है और इसकी यह भी मान्यता है की कुंभ 12 वर्षो में एक बार आयोजित होता है लेकिन यह मान्यता गलत है इस बात का पता हम कुंभ की कथा से लगा सकते है जो की यह भी सिद्ध करती है की सिंहस्त और अर्धकुम्भ और कुंभ अलग अलग है।

क्या है कुंभ -कुंभ का अर्थ होता है घड़ा या फिर कलश जिसका सीधा सम्बन्ध समुद्र मंथन से बताया जाता है कहा जाता है की जब समुद्र मंथन से अमृत का घड़ा निकला तो सभी असुर इस घड़े को एक दुसरे से छिनने लगे इस हलचल में अमृत की कुछ बुँदे धरती की तीन नदियों में गिरी थीं। जहां जब ये बूंदें गिरी थी उस स्थान पर तब कुंभ का आयोजन होता है। उन तीन नदियों के नाम है:- गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा।

अर्धकुंभ क्या है -अर्ध का अर्थ है आधा। हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ का आयोजन होता है। पौराणिक ग्रंथों में भी कुंभ एवं अर्ध कुंभ के आयोजन को लेकर ज्योतिषीय विश्लेषण उपलब्ध है। कुंभ पर्व हर 3 साल के अंतराल पर हरिद्वार से शुरू होता है। हरिद्वार के बाद कुंभ पर्व प्रयाग नासिक और उज्जैन में मनाया जाता है। प्रयाग और हरिद्वार में मनाए जानें वाले कुंभ पर्व में एवं प्रयाग और नासिक में मनाए जाने वाले कुंभ पर्व के बीच में 3 सालों का अंतर होता है। यहां माघ मेला संगम पर आयोजित एक वार्षिक समारोह है।

सिंहस्थ क्या है -सिहस्थ का संबंध सिंह राशि से है। सिंह राशि में बृहस्पति एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर उज्जैन में कुंभ का आयोजन होता है। इसके अलावा सिंह राशि में बृहस्पति के प्रवेश होने पर कुंभ पर्व का आयोजन गोदावरी के तट पर नासिक में होता है। इसे महाकुंभ भी कहते हैं, क्योंकि यह योग 12 वर्ष बाद ही आता है। इस कुंभ के कारण ही यह धारणा प्रचलित हो गई की कुंभ मेले का आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष में होता है, जबकि यह सही नहीं है।

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