फल के लिए न करें भगवान की सेवा
फल के लिए न करें भगवान की सेवा
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हम फल प्राप्ति के उद्देश्य को ही लेकर न केवल मंदिर में जाते है तो वहीं भगवान की भी सेवा पूजा करते है, लेकिन ज्योतिष शाास्त्र में यह कहा गया है कि जब तक निष्काम भाव से ईश्वर की पूजा-आराधना या सेवा न की जाए, ईश्वर प्रसन्न नहीं होते है, इसलिए फल प्राप्ति के उद्देश्य से कभी भी मंदिर या धर्म स्थल पर न जाएं।

ईश्वर सभी की सुनते है, परंतु निष्काम भाव से ही ईश्वर प्रसन्न होकर मनोकामनाओं को पूरा करते है। स्वार्थ से की गई पूजा अर्चना का न तो फल प्राप्त होता है और न ही ईश्वर मनोकामना पूरी होती है। ज्योतिष शास्त्र ही नहीं बल्कि अन्य धर्मशास्त्रों में भी निष्काम भाव से ही पूजा आराधना करने का उपदेश दिया गया है।

ज्योतिष शास्त्र में यह भी कहा गया है कि जिसका मन परमात्मा में रहता है, परमात्मा उसकी संभाल रखते है, लेकिन मन भाव स्वार्थ रहित ही होना जरूरी होता है। प्रभु को प्राप्त करने का पहला साधन है, प्रभु को प्राप्त करने का निश्चय।

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सरलता और निर्मलता ही ईश्वरीय ज्योति

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