भगवान परशुराम ने किया था अपनी माता का वध? जानिए वजह
भगवान परशुराम ने किया था अपनी माता का वध? जानिए वजह
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22 अप्रैल को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाएगी। भगवान परशुराम श्री विष्णु (Lord Vishnu) के छठें अवतार हैं तथा श्री हरि ने क्रूर क्षत्रियों के अत्याचारों से बचाने के लिए पृथ्वी पर परशुराम के तौर पर जन्म लिया था।  जिस दिन वे पृथ्वी पर अवतरित हुए थे उस शुभ दिन को परशुराम जयंती के तौर पर मनाया जाता है। इस तिथि को प्रदोष व्यापिनी रूप में ग्रहण करना चाहिए क्योंकि भगवान परशुराम का प्राकट्य काल प्रदोष काल ही है। परशुराम भगवान को लेकर एक मान्यता ये भी है कि वे 8 चिरंजीवी पुरुषों में से एक हैं जो आज भी धरती पर विद्यमान हैं। आइए जानते हैं परशुराम जयंती पर उनसे संबंधित रोचक बातें... पुराणों में 8 महापुरुषों का वर्णन है जिन्हें अजर-अमर माना जाता है, इनमें हनुमान जी, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, भगवान परशुराम, ऋषि मार्कण्डेय, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास एवं विभीषण सम्मिलित है।

ऐसे ‘राम’ से बने परशुराम:-
जन्म के पश्चात् माता-पिता ने भगवान परशुराम का नाम ‘राम’ रखा गया था। वह भगवान महादेव के परम भक्त थे, उनकी तपस्या से खुश होकर शिव जी ने उन्हें कई शस्त्र दिए थे, जिसमें से एक फरसा था। फरसा को परशु भी बोला जाता है। फरसा मिलने के बाद उन्हें परशुराम के नाम से जाना जाने लगा।

श्री कृष्ण को सौंपा था सुदर्शन चक्र:-
प्रभु श्री विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को परशुराम जी ने ही सुदर्शन चक्र सौंपा था। शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् प्रभु श्री कृष्ण की मुलाकात जब परशुराम से हुई तब उन्होंने दुष्टों का नाश करने के लिए सुदर्शन चक्र कान्हा को दे दिया। यह बोलते हुए कि यह युग अब आपका है।

माता का वध क्यों किया ?
भगवान परशुराम जी का अवतार सबसे प्रचंड एवं सबसे व्यापक रहा है। परम्परा है कि परशुराम जी का क्रोध ऐसा था कि धरती पर बढ़ रहे अत्याचार को रोकने के लिए उन्होंने 21 बार 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था। वहीं पिता की आज्ञा का मान रखने के लिए भगवान परशुराम ने अपनी माता का वध कर दिया था, हालांकि बाद में पिता से ही वरदान मांगकर उन्होंने अपनी माता को पुन: जीवित कर लिया था।

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