जबलपुर/ब्यूरो। संस्कारधानी जबलपुर चमत्कारिक घटनाओं से भरी पड़ी है जहा पर आए दिन कोई न कोई चमत्कार होते रहते है ऐसा ही एक चमत्कार 1996 को हुआ था जो आज तक अनवरत जारी है ये चमत्कार जुड़ा हुआ है
रांझी में स्थित ये है मनोकामना वाली महाकाली की विशाल प्रतिमा इस महाकाली की स्थापना का सिलसिला 1996 में शुरू हुआ जब आजाद नगर के नन्हे बच्चों ने नवरात्र के दिनों में खेल-खेल में ही मिट्टी की प्रतिमा बना डाली तब वहां रहने वाले लोगो ने बच्चों को कुछ सहयोग राशि देकर विधिवत माता की स्थापना करवाई तभी से यहां माता की स्थापना होती आ रही है तब से यहां जिसकी मन्नत पूरी होती है वह प्रतिमा स्थापना करवाता है सिर्फ इतना ही नहीं मन्न्त पूरी होने पर मूर्ति की स्थापना करने की होड़ इस कदर है कि वर्ष 2056तक एफडी करवाने वालों की भी लिस्ट बन चुकी है इनमें शहर ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं अब यदि किसी भक्त को महाकाली की प्रतिमा स्थापित करना है तो उसे 2056 में ही अवसर मिल सकेगा सबसे बड़ी बात तो यह है कि नवरात्र शुरू होते ही प्रतिदिन कम से कम 10 से 15 लोग ऐसे आ रहे हैं जिनकी मनोकामना पूरी हो चुकी है और वे महाकाली की स्थापना करवाना चाहते हैं
वहीं आजाद नगर, रांझी स्थित मनोकाना महाकाली की मूर्ति बनाने के लिए भी दर्जनों मूर्तिकार कतार में हैं वे बिना पैसे लिए ही मूर्ति बनाने को आतुर हैं रांझी स्थित मनोकामनाओ वाली मूर्ति प्रति साल बढ़ते हुए आज अपने विशाल रूप में नवरात्र पर भक्तों को दर्शन देती है और हर साल भक्त और समिति के लोग महाकाली की विधि विधान से पूजा अर्चना करते है इस वार्ड के पूर्व पार्षद राजेश मिश्रा भी मनोकामनाओ की महाकाली की महिमा से अचंभित है क्योकि महाकाली के आशीर्वाद से वो इसी वार्ड से दो बार पार्षद बने और उन्होंने तीन बार महाकाली की मूर्ति शारदेय नवरात्र पर स्थापना करवा चुके है।
फिर विवादों में आये पंडित प्रदीप मिश्रा, माफी मांगते हुए कही ये बात
कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा फसल संगोष्ठी का हुआ आयोजन