आमतौर पर माना जाता है कि रोजाना फल के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है लेकिन याद रहे फलों का ज्यादा सेवन करने के परिणाम गलत साबित हो सकते है. लेकिन एक शोध में बताया गया है कि फलों में स्वाभाविक रूप से शर्करा होती है, जो फ्रक्टोस की उपलब्धता के लिए जिम्मेदार है. जरूरत से ज्यादा फल खाने से बच्चों व युवकों में अवसाद और बेचैनी को बढ़ा सकता है और ये दिमागी प्रतिक्रिया को भी प्रभावित कर सकता है. इस लिए अगर आप अपने बच्चे को ज्यादा फल खाने के लिए दवाब डालती है तो ये उसके लिए घातक साबित हो सकता है.
अटलांटा के एमोरी युनिवर्सिटी के शोधकर्ता कांस्टेंस हैरेल ने बताया, हमारे शोध के नतीजे आपके आहार के मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव और किशोर होते बच्चों में पोषण के महत्व पर प्रकाश डाल सकते हैं. यह शोध वॉशिंगटन DC में आयोजित सोसायटी फॉर न्यूरोसाइंस की वार्षिक बैठक न्यूरोसाइंस 2014 में पेश की गई है.