CJI चंद्रचूड़ ने किया इंदिरा शासनकाल की 'इमरजेंसी' का जिक्र, बोले- उस काले दौर में भी...

CJI चंद्रचूड़ ने किया इंदिरा शासनकाल की 'इमरजेंसी' का जिक्र, बोले- उस काले दौर में भी...
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गुवाहाटी: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि जजों को सोशल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि, ये आवश्यक है कि समाज से जजों का जुड़ाव हो। ऐसा होने पर जो जजमेंट वो देते हैं, वो कहीं अधिक सार्थक होते हैं। CJI का कहना था कि जब कानून में सिद्धांतों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, तो वो फैसलों में साफ झलकता है। CJI का कहना था कि हम तमाम जज और वकील इस देश के सामान्य नागरिकों की तरह ही हैं। संविधान हम सभी को सही मार्ग दिखाता है।

चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि संविधान में स्वतंत्रता, बराबरी जैसे मुद्दों पर जो प्रावधान किए गए हैं, वो हमारे देश को एक सूत्र में पिरोते हैं। उनका कहना था कि इमरजेंसी (इंदिरा गाँधी द्वारा घोषित आपातकाल) के काले दौर में भी गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने जिस प्रकार का काम किया, वो काबिले तारीफ था। CJI ने कहा कि वो दौर ऐसा था, जिसमें टफ जजों को भी टफ चीजों का सामना करना पड़ा। मगर, जजों ने कानून को जिंदा रखने के लिए किसी प्रकार का समझौता नहीं किया।

गुवाहाटी उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह में CJI चंद्रचूड़ ने उस लम्हे को याद किया जब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने पिछले संविधान दिवस के अवसर पर जूडिशरी को एक रास्ता दिखाया था। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा था कि समाज के सबसे कमजोर तबके को न्याय मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। मगर ऐसा हो नहीं पा रहा है। CJI ने कहा कि उनकी बातों को सुनने के बाद हमें रास्ता दिखा और इस दिशा में काफी काम किया गया।

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