हमारे भारत को त्यौहारो का देश कहा जाता है। भारत में कई तरह के त्यौहार मनाए जाते है। ऐसे में अभी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक चलने वाले चार दिन का पर्व छठ मनाया जाता है इसे मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है। जोकि भारत के कई देशो में मनाया जाता है जैसे बिहार, गुजरात आदि कई देशो में। छठ पूजा का उपवास सूर्य भगवान के लिए रखा जाता है, इस पूजा में सरोवर में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। उसके बाद उनसे मनोकामना की जाती है। यह पर्व दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है।
इस व्रत को रखने का उद्देश्य होता है सभी कामनाओ की पूर्ति। यह व्रत निर्जला रखा जाता है। इस व्रत को लेकर कई मान्यताए है, रामायण के अनुसार एक मान्यता है - की लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशिर्वाद प्राप्त किया था। इसी वजह से छठ पूजा की जाती है। हिन्दू, उत्तर भारतीय, भारतीय प्रवासी के लोग छठ पूजा को बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है लेकिन इस पूजा को करने में साफ़ सफाई का बड़ा ही ध्यान रखा जाता है कोई भी गलती की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। यह पर्व चार दिनों का होता है इस व्रत के दौरान महिलाओ को चार दिनों तक उपवास करना होता है। सिर्फ उपवास की बात नहीं है इस दौरान महिलाओ को बिस्तर पर सोना भी मना होता है। जब भी कोई महिला चार दिनों का छठ का उपवास रखती है तो उसे एक अलग कमरे में फर्श पर एक कम्बल या चद्दर में सोना पड़ता है यह एक परंपरा है।
ऐसा भी माना जाता है की छठ पूजा का व्रत करने वाले बिना सिलाई हुए कपडे पहनते है लेकिन जो इस व्रत में शामिल होते है वो लोग नए कपडे पहनते है। पुरुषो को धोती पहनकर और महिलाओ को साड़ी पहनकर पूजा करनी होती है। इस व्रत की एक बात यह भी है की इस व्रत को करना जो एक बार शुरू कर देता है उसे यह व्रत सालो साल करना पड़ता है। इसके साथ ही ऐसा भी माना जाता है की अगर व्रत के दौरान घर घर में किसी की मौत हो जाए तो यह व्रत नहीं रखा जाता ना ही यह पर्व रखा जाता है।