आखिर क्यों होता है सूर्य पूजन और क्या है छठ की विधि

नईदिल्ली: देशभर में आज छठ पर्व को लेकर उल्लास छाया हुआ है। हर कहीं श्रद्धालु उत्साहित हैं। विशेषकर महिलाओं में खुशियां छाई हुई हैं। विशेषकर दिल्ली, बिहार, झार खंड और उत्तरप्रदेश में पर्व को लेकर घाटों पर विशेष इंतजाम किए गए हैं। पर्व का प्रमुख दिन आज मनाया जाएगा। छठ को लेकर श्रद्धालु महिलाओं द्वारा आवश्यक व्यंजन बनाकर तैयार किए जा रहे हैं। शाम को महिलाऐं जल स्त्रोतों में पानी में आधे खड़े रहकर अस्ताचल सूर्य को अध्र्य देंगी।

मगर क्या है छठ की पूजन विधि क्या आप जानते हैं। आखिर क्यों देते हैं सूर्य को अध्र्य क्या आपने सोचा है। मिली जानकारी के अनुसार छठ पर्व पर यदि नदी तालाब में स्नान कर सूर्य आराधना की जाती है तो कल्याण जरूर होता है। भगवान सूर्य के लिए महिलाओं द्वारा विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं।

दरअसल समय पर उठकर स्नान आदि कर भगवान के लिए पकवान बनाए जाते हैं। पूजन के दौरान व्रत रखने और व्रत रखकर पकवान बनाने के पीछे भी एक आधार माना जाता है कि शुद्ध तन में शुद्ध मन का वास होता है और शुद्ध मन से जब हम पकवान बनाते हैं तो पकवानों का स्वाद तो अलग होता ही है पकवान का सेवन करने वाले के भाव भी पकवान बनाने वाले के भाव से प्रभावित होते हैं और फिर हम भगवान का प्रसाद तैयार कर रहे होते हैं।

छठ पर्व का शुभारंभ नहाय - खाय के माध्यम से होता है। जिसमें महिलाऐं नहाकर और परिवार के अन्य सदस्यों के बीच भोजन कर व्रत का प्रारंभ करती हैं। छठ की आराधना के दौरान महिलाओं द्वारा खरना का आयोजन किया जाता है और गेहूं के व्यंजन बनाए जाते है। महिलाऐं गुड़ की खीर बनाती हैं।

नहाय खाय के दौरान जब तक व्रत रखने वाली महिला या अन्य सदस्य भोजन नहीं कर लेते तब तक परिवार को कोई भी सदस्य भोजन ग्रहण नहीं करता है। छठ के पर्व पर षष्ठी के दिन अस्ताचल सूर्य को अध्र्य दिया जाता है। गौरतलब है कि छठ पर्व का आयोजन सर्द मौसम के आगमन के बीच होता है ऐसे में सूर्यास्त जल्दी होने लगता है। ऐसे में भगवान सूर्य को धन्यवाद दिया जाता है कि आप जीवन के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

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