कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा, बलात्कार और दुष्कर्म की कोशिशों के मामलों की जांच कर रही CBI ने मीडिया की एक खबर को सिरे से खारिज कर दिया है। CBI द्वारा कहा गया है कि 3 और 4 जनवरी 2022 को कुछ न्यूज एजेंसी द्वारा खबर छापी गई थी कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NCW) की तरफ से भेजे गए दुष्कर्म के 21 मामलों में कोई प्रमाण नहीं मिला है। CBI ने कहा कि 'ये सरासर गलत और भ्रामक खबर है।' बता दें कि इस खबर को मीडिया ने जमकर दिखाया गया था। टाइम्स ऑफ़ इंडिया, जैसे बड़े सस्थानों ने भी यही खबर छापी थी। कोलकाता हाई कोर्ट के ASG वाइजे दस्तूर ने भी इस झूठी खबर को चलाने के लिए TOI को पत्र लिखकर फटकार लगाई थी।
BREAKING: ASG Dastoor calls upon Editor of @timesofindia to immediately retract a report & apologise for wrongly reporting developments in the ongoing Bengal Violence cases before Calcutta HC viz. submissions of CBI that there existed "no proof in 21 rape cases mentioned by NHRC"
— LawBeat (@LawBeatInd) January 4, 2022
वहीं TOI को भेजे गए पत्र में ASG ने लिखा था कि, '3 जनवरी, 2022 को बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले की सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय में हुई, जिस संबंध में अगले दिन TOI ने रिपोर्ट प्रकाशित की। दुर्भाग्य से, इस रिपोर्ट में CBI के हवाले से जो बताया गया है उसमें जरा सी भी सच्चाई नहीं है। उस दिन हुई सुनवाई में CBI ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा, जैसा TOI ने अपनी खबर में लिखा है। इस रिपोर्ट के शीर्षक, तथ्य और आँकड़े – सब पूरी तरह गलत हैं।'
वहीं, अब इन झूठी ख़बरों पर CBI ने कहा है कि मीडिया में छपी रिपोर्ट का सोर्स जांच एजेंसी की तरफ से 22 दिसंबर 2021 को कोलकाता उच्च न्यायालय में पेश रिपोर्ट से मिले इनपुट पर आधारित है। बता दें कि कोलकाता हाईकोर्ट ने CBI को 19 अगस्त 2021 को हत्या, दुष्कर्म और बलात्कार की कोशिश से जुड़ी घटनाओं की जांच का आदेश दिया था। इन सभी मामलों की जांच चल रही है। सीबीआई को 22 दिसंबर 2021 तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा यौन अपराध से संबंधित 29 शिकायतें भेजी गई हैं। कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, इनमें से दो मामलों को राज्य SIT को सौंपने का फैसला किया गया है।
बंगाल में चुनाव बाद भड़की थी हिंसा :-
बता दें कि पश्चिम बंगाल में मई के पहले सप्ताह में ही हिंसा का स्तर बढ़ गया था और खासकर भाजपा कार्यकर्ताओं को इस हिंसा में बनाया गया था। सीएम ममता बनर्जी की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के गुंडों पर हिंसा के इल्जाम लगे थे, जिसकी वजह से कई लोगों को बेघर होना पड़ा था और हज़ारों की तादाद में लोगों ने पड़ोसी राज्यों में पनाह ली थी।
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