May 20 2016 08:14 PM
कनाडा: 23 मई 1914 को जलपोत कोमागाता मारू 376 मुसाफिरों के साथ हांगकांग से वैंकुवर गोदी पहुंचा था, जिसे कनाडा बंदरगाह से नस्ली भेदभाव के कारण लौटा दिया गया था. इस जलपोत पर अधिकतर सिख सवार थे। आपको बता दे की इस घटना को 102 साल हो चुके है|
इस मामले में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू ने कनाडाई संसद 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में बुधवार को कोमागाता मारू पर सवार लोगो के वंशजों और सिख समुदाय से माफी मांगते हुए कहा की "कनाडा सरकार उन कानूनों के लिए जिम्मेदार थी उन्होंने कहा, वे मुसाफिर जिस दर्द और तकलीफ से गुजरे उसे कोई शब्द नहीं ख़त्म कर पाएगा|
इस घटना के बाद पोत भारत लौटा जहां मुसाफिरों से ब्रिटिश सेना की झड़प हुई जिसमे कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई, और बचे हुए लोगो को जेल भेज दिया गया|
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