भारतीय मिठाइयाँ प्रथम विश्वयुद्ध के समय से ही है स्वादिष्ट
भारतीय मिठाइयाँ प्रथम विश्वयुद्ध के समय से ही है स्वादिष्ट
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लंदन : भारत अपने खाने के मामले में विश्व प्रसिद्ध है, ये तो हर भारतीय जानता है। भारतीय व्यंजन लजीज और कई तरह के फ्लेवर से भरे होते है। लेकिन भारतीय मिठाइयों के स्वाद का आलम यह है कि विश्वयुद्ध के मैदान से भी सैनिक इसे याद कर ललचाते थे। पहले विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय सैनिक फ्रांस औऱ बेल्जियम के बंकरों में बैठकर घरेलू मिठाइयों की बातें करते थे, जो उस जमाने में ब्रिटिश सरकार के लिए भी स्पेशल डिस्कशन का मुद्दा बन गया था। इन सारी बातों का जिक्र एक किताब में किया गया है, जिसकी लेखिका श्रावणी बसु है। किताब का नाम है ‘फॉर किंग एंड एनदर कंट्री: इंडियन सोल्जर्स ऑन द वेस्टर्न फ्रंट 1914-18’ ।

इस किताब का विमोचन गुरुवार शाम को हुआ। इसमें ऐसी ढेर सारी बातों का जिक्र किया गया। किताब के मुताबिक तब भारतीय सैनिक भारतीय मिठाइयों को इतना ज्यादा मिस करते थे कि कइयों ने अजीबोगरीब सुझाव भी दे डाले थे। जैसे कोई फौजी भारत जाकर मिठाइयाँ ले आए या फिर किसी भारतीय हलवाई को ही यहाँ बुला दिया जाए जो खीर, सेवइँया और हलवा बना दें।

ताकि सैनिकों को ताजी मिठाइयाँ मिल सकें। हांलाकि ब्रिटिश शासन ने इन सारे आवेदनों को खारिज कर दिया था। श्रावणी का कहना है कि इस विषय में लिखने से पूर्व उन्होने रेजिमेंटों की डायरी, अधिकारियों की रिपोर्ट, सरकारी पत्र, अखबारों के लेख, सैनिकों के लिखे खत, सैनिकों के बाद की पीढ़ियों से साक्षात्कार, राष्ट्रीय अभिलेखागार और ब्रिटिश लाइब्रेरी का ढाई साल तक गहन अध्ययन किया है।

यह किताब मोर्चे पर गए करीब 15 लाख सैनिकों को लेकर लिखी गई है। श्रावणी ने इससे पहले भी स्पाइ प्रिंसेस, विक्टोरिया एण्ड अब्दुल और करी जैसी रचनाएँ लिखी है।

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