उत्साह और उमंग से मनेगी जन्माष्टमी, दही-हांडी को लेकर राजनीति शुरू
उत्साह और उमंग से मनेगी जन्माष्टमी, दही-हांडी को लेकर राजनीति शुरू
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नई दिल्ली : गुरूवार को देश भर में जन्माष्टमी का त्योहार उत्साह और उमंग के साथ मनाया जायेगा। सभी कृष्ण मंदिरों सहित अन्य मंदिरों में सुबह से ही धार्मिक कार्यक्रम शुरू हो जायेंगे तो वहीं रात 12 बजते ही भगवान कृष्ण का जन्म किया जायेगा। श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटा जायेगा और बाल स्वरूप कृष्ण के मनोहारी दर्शन कर श्रद्धालु धन्य हो जायेंगे। इधर दही-हांडी को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। गौरतलब है कि विशेषकर मुंबई में जन्माष्टमी के अवसर पर दही हांडी उत्सव के आयोजन होते है, जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं की मंडली भाग लेकर दही हांडी फोड़ती है। कई स्थानों पर तो बड़े तथा आकर्षक पुरस्कार भी दिये जाते है, लेकिन इस बार न केवल युवाओं की मंडलियों में नाराजगी है तो वहीं गोविंदा बनने वालों में भी उत्साह की कमी आ गई है।

दरअसल मुंबई हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुये दही हांडी उत्सव मनाने के लिये सीमा रेखा तय कर दी है, जिसे बाद में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी यथावत रखा है। आपको बता दें कि कोर्ट ने न केवल दही हांडी आयोजन के दौरान बनाये जाने वाले पिरामिड की उंचाई निर्धारित कर दी है वहीं दही हांडी फोड़ने के लिये बनने वाले गोविंदा की भी उम्र का निर्धारण करते हुये यह कहा है कि गोविंदा बनने के लिये कम से कम 18 वर्ष की उम्र होना चाहिये, अर्थात इस उम्र से कम बच्चे गोविंदा नहीं बन सकेंगे।

मुंबई हाईकोर्ट के इस आदेश को बाद में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी यथावत रखने का निर्णय सुनाया है। दोनों ही न्यायालयों द्वारा दिये गये इस आदेश को लेकर युवाओं की टोलियां नाराज है तो वहीं राजनीति भी शुरू कर दी गई है। अब यह बात अलग है कि आज से बुधवार से एक दिन बाद गुरूवार को ही जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जायेगा, ऐसे में कोर्ट के आदेश की अव्हेलना तो हो नहीं सकती।

फिर भी मनायेंगे उत्सव

बताया जाता है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी कुछ एक राजनीतिक दल और आयोजकों द्वारा पहले की तरह ही आयोजन मनाने की तैयारी कर रहे है। ऐसे लोगों का कहना है कि वे पिछले वर्षों की तरह ही दही हांडी की उंचाई रखेंगे और यदि ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई भी होती है तो वे उसे भुगतने के लिये तैयार है। इसी तरह महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा है कि हिन्दू धर्म के त्योहारों पर किसी तरह की पाबंदी लगाना उचित नहीं है। उनका कहना है कि यदि उत्सव मनाने के दौरान कोई गलत काम किया जाता है तो ही पाबंदी लगाना उचित है।

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