सरकारी और निजी बैंकों के 10 लाख कर्मचारियों की आज हड़ताल
सरकारी और निजी बैंकों के 10 लाख कर्मचारियों की आज हड़ताल
Share:

नई दिल्ली : केंद्र सरकार की बैंकिंग नीतियों के विरोध में करीब 40 निजी और सरकारी बैंकों के 10 लाख कर्मी शुक्रवार को हड़ताल पर रहेंगे. इस कारण देश भर में बैंकिंग सेवाएं प्रभावित रहेगी. ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटाचलम ने बताया कि 'हड़ताल होगी. 'इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, पुरानी पीढ़ी के निजी बैंक और विदेशी बैंकों के करीब 80,000 शाखाओं के अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहेंगे.'

उनके मुताबिक, बैंक देश में करीब 2 लाख एटीएम मशीनों में कैश डालने के बाद हड़ताल पर जाएंगे, ताकि लोगों को नगदी निकालने की सुविधा मिलती रहे. स्मरण रहे कि इसके पूर्व इस महीने की शुरुआत में प्रमुख बैंक यूनियनों ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद अपनी 12 और 13 जुलाई को प्रस्तावित हड़ताल टाल दी थी. उन्होंने कहा हमें बैंकों या इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) द्वारा यूएफबीयू (युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन) के 9 यूनियन को हड़ताल में शामिल होने से रोकने के बारे में कोई खबर नहीं है.

बता दें कि बैंकिंग सेक्टर की यूनियनें पांच सरकारी बैंकों के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में एकीकरण और आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल कर रही हैं. बैंक यूनियन सरकार स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (एसबीटी), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (एसबीपी), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एसबीएम) और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (एसबीएच) के एसबीआई में एकीकरण के खिलाफ हैं.

अन्य कई बिंदुओं को लेकर हो रही है हड़ताल - वेंकटाचलम ने बताया कि यह हड़ताल अनुचित बैंकिंग सुधार के उपाय के विरोध में की जा रही है. उन्होंने कहा कि आईडीबीआई बैंक का निजीकरण करने और सरकार द्वारा अपनी पूंजी को 49 फीसदी से कम करने, सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का एकीकरण, लेकिन निजी बैंकों का विस्तार, कॉरपोरेट समूहों को बैंकिंग लाइसेंस देने, फंसे हुए बड़े कर्जो की वसूली के लिए अपर्याप्त कदम उठाने और बकाएदारों और अन्य को रियायतें देने के खिलाफ यह हड़ताल आयोजित की जा रही है.

हमारी मांग है कि जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवालों को आपराधिक मुकदमा चलाया जाए और उन्हें दंडित किया जाए. बकाएदार जानबूझकर कुल 58,792 करोड़ का कर्ज नहीं लौटा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों का 31 मार्च 2016 तक कर्ज के रूप में फंसी हुई रकम 5,39,995 करोड़ रुपये है. लेकिन सरकार और आरबीआई उनके खिलाफ कड़े कदम नहीं उठा रही है. यहां तक बकाएदारों के नाम तक सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं.'

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -