छत्तीसगढ़ में 'बघेल बनाम बघेल' की लड़ाई ? भाजपा ने CM भूपेश के गढ़ से उनके भतीजे विजय को चुनावी दंगल में उतारा

छत्तीसगढ़ में 'बघेल बनाम बघेल' की लड़ाई ? भाजपा ने CM भूपेश के गढ़ से उनके भतीजे विजय को चुनावी दंगल में उतारा
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रायपुर : आगामी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की कल जारी की गई सूची से एक प्रमुख निर्वाचन क्षेत्र में "बघेल बनाम बघेल" लड़ाई होने की उम्मीद है। भाजपा ने दुर्ग के सांसद विजय बघेल को चुनाव के मैदान में वापस उतारा है, उम्मीद है कि वह अपने चाचा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पाटन सीट से हरा देंगे। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मुख्यमंत्री अपने गढ़ पाटन से चुनाव लड़ेंगे या नहीं। आगामी चुनावों के लिए भाजपा की 31 सदस्यीय 'घोषणा पत्र समिति' के प्रमुख विजय बघेल ने 2008 के विधानसभा चुनावों में उसी सीट से भूपेश बघेल को मात दी थी। राज्य विधानसभा में यह उनका पहला प्रदर्शन था।

हालांकि, 2013 में वह भूपेश बघेल से हार गए थे। इसके बाद विजय ने 2018 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। 2019 के आम चुनाव में, उन्होंने दुर्ग से कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर के खिलाफ चुनाव लड़ा और करीब चार लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की। आगामी विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में वापसी की कोशिश कर रही भाजपा ने गुरुवार को उन 21 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जहां उसे पिछली बार हार का सामना करना पड़ा था। इस लिस्ट में 16 नए चेहरे हैं, जिनमें से अधिकांश जिला पंचायत निकायों के प्रतिनिधि हैं, जबकि पांच उम्मीदवार पूर्व विधायक हैं। सूची में पांच महिलाएं शामिल हैं। बता दें कि, 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा अभी नहीं की गई है। भाजपा ने जिन 21 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें से 10 अनुसूचित जनजाति (ST) और एक अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं। ये सभी 21 सीटें फिलहाल कांग्रेस के पास हैं। 

ऐसा लगता है कि भाजपा ने पहली सूची में उन सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, जहां उम्मीदवारों को लेकर पार्टी के भीतर ज्यादा मतभेद नहीं थे। जबकि 2018 में भाजपा को इन सभी 21 सीटों पर एक भी सीट नहीं मिली, यहां तक कि 2013 में (जब उसने राज्य में सत्ता बरकरार रखी) उसे इनमें से 16 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के एक नेता ने मीडिया को बताया कि पार्टी इन 21 सीटों पर बहुत मजबूत नहीं है, इसलिए उम्मीदवारों की घोषणा जल्दी कर दी गई ताकि उन्हें लोगों के पास जाने और उनसे जुड़ने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। बता दें कि, 2018 के चुनाव में, कांग्रेस ने कुल 90 सीटों में से 68 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा 15 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। JCC (J) को पांच और उसकी सहयोगी बसपा को दो सीटें मिली थीं। कांग्रेस के पास फिलहाल 71 विधायक हैं। 

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