आज से शुरू हुआ कामना पूर्ति करने वाला आषाढ़ का माह, जानिए इसका महत्व
आज से शुरू हुआ कामना पूर्ति करने वाला आषाढ़ का माह, जानिए इसका महत्व
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सनातन धर्म में आषाढ़ मास को धार्मिक लिहाज से काफी अहम माना जाता है। ये वर्ष का चौथा महीना है तथा इसी माह से चतुर्मास का आरम्भ होता है। देवशयनी एकादशी से लेकर गुप्त नवरात्रि तक कई बड़े पर्व भी इसी माह में आते हैं। आज से आषाढ़ का माह आरम्भ हो चुका है तथा ये 24 जुलाई 2021 तक चलेगा। शास्त्रों में आषाढ़ के माह को कामना पूर्ति करने वाला माह माना गया है। प्रथा है कि इस के चलते सच्चे मन से जो भी श्री नारायण भगवान की उपासना करता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। कहा जाता है कि इसी माह में देवशयनी एकादशी के दिन से प्रभु श्री विष्णु चार महीने के लिए शयन के लिए चले जाते हैं। प्रभु श्री विष्णु के शयन काल के इन चार माहों को ही चतुर्मास कहा जाता है। चतुर्मास को प्रभु श्री विष्णु तथा महादेव की पूजा के लिए काफी अहम माना जाता है। चतुर्मास के बीच धरती के पालनहार का दायित्व शिव जी पर होता है। यहां जानिए आषाढ़ के माह से संबंधित विशेष बातें...

क्यों कहते हैं इस महीने को आषाढ़:-
आषाढ़ मास का संबन्ध पूर्वाषाढ़ा तथा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से है। दरअसल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा तथा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के मध्य रहता है, इसलिए इस माह को आषाढ़ कहा जाता है।

प्रभु श्री विष्णु की पूजा का महत्व:-
आषाढ़ के माह में प्रभु श्री विष्णु की पूजा करने की खास अहमियत है। इसके अतिरिक्त इस माह में दान पुण्य की विशेष अहमियत मनाई गई है। आषाढ़ के माह में गर्मी और उमस भी काफी होती है, ऐसे में खड़ाऊं, छाता, पानी से भरा घड़ा, खरबूजा, तरबूज, नमक तथा आंवले का दान काफी अच्छा माना जाता है। इसके अतिरिक्त सूर्यदेव तथा जलदेव की आराधना का भी खास महत्व है।

चार माह के लिए बंद हो जाते हैं शुभ कार्य:-
इसी महीने में देवशयनी या हरिशयनी एकादशी होती है। इस दिन दुनिया के पालनहार प्रभु श्री विष्णु चार माहों के लिए शयन के लिए चले जाते हैं तथा इसी के साथ सभी प्रकार के मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं। चार माह के इस वक़्त को चतुर्मास कहा जाता है। चतुर्मास आषाढ़ मास की शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक रहता है।

गुप्त नवरात्रि भी इसी महीने में:-
वर्ष भर में चार नवरात्रि होती हैं जो माघ, चैत्र, आषाढ़ तथा अश्विन मास में पड़ती हैं। चैत्र माह की नवरात्रि को बसंत नवरात्रि तथा अश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि बोला जाता है। बाकी की दो नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं जो आषाढ़ एवं माघ महीने में पड़ती हैं। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक उपासना की जाती है।

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