मानवता जीवित रखने हेतु राष्ट्रपति से माँगा मिलने का समय वापस ले लिया था
मानवता जीवित रखने हेतु राष्ट्रपति से माँगा मिलने का समय वापस ले लिया था
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राष्ट्रपति पद पर वर्तमान में कार्यशील व्यक्ति के पद ग्रहण के साथ ही उनकी प्रारंभिक एवं लंबी प्रवास वाली पहली मध्यप्रदेश यात्रा 6-8 जुन 2013 के समय 18 मई 2013 को ही ई-मेल/ पत्र / फैक्स / फ़ोन के माध्यम से मिलने का समय माँगा | यह पुरी तरह एक मिनट में हो रही एक इंशान की मौत को रोकने के कार्य को शुरु करने हेतु उनके अंतिम निर्णय लेने से संबंधित था | यह अनुरोध निचे मौजूद है | 

इस अनुरोध को हमने मध्यप्रदेश के राज्यभवन के माध्यम से भी पहुँचाने का कार्य भी किया क्यूँकि राज्यपाल हमे इससे जुड़े आपने स्वतः टूटने वाली असली एडी सिरिंज के आविष्कार हेतु बधाई दे चुके थे| वहा के अतिथि के रिकॉर्ड में हमारी कुछ लाइनें आज भी सच्चाई के रूप में दर्ज है | राष्ट्रपति महोदय से मिलने के अनुरोध को B-Tv (रिकॉर्डिंग 16 मई 2013), EMS न्यूज़ एजेंसी (रिलीज 30 मई 2015), राष्ट्रीय अंग्रजी अखबार द पायनिर ने Nation-04 पेज पर 31 मई 2015 को प्रकाशित करा था | यहा तक की मीडिया के कुछ संस्थानों ने राष्ट्रपति-सचिवालय फोन लगाकर जानकारी माँग ली थी | राष्ट्रपति महोदय के आने से पूर्व भोपाल की डिप्टी कलेक्टर का फ़ोन मोबाइल पर आया उन्होने सुरक्षा के मध्य नजर जाँच व तैयार रहने को कहा क्यूँकि राष्ट्रपति-भवन से आये संदेश के अनुसार हमे कभी भी मिलने के लिए बुलाया जा सकता था | राष्ट्रपति महोदय के भोपाल आ जाने के बाद भी नया संदेश न आने पर हमने जानकारी ली तो मध्यप्रदेश सचिवालय से उन तीन नामों के खुलासे में हमारा नाम नहीं था जबकि स्वयं मुख्यमंत्री पहले ही सार्वजनिक रूप से जनता, मीडिया व प्रत्येक विभाग के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों के सामने मंत्री का दर्जा प्राप्त प्रदेश के वैज्ञानिक-सलाकार से आविष्कार के लिए बधाई दिलवा चुके थे | राष्ट्रपति महोदय के विश्राम स्थल "राज्य भवन या गवर्नर हाउस" में उनके साथ आये प्रमुख अधिकारी से बात हुई तो उन्होंने कहा राज्य सरकार ने अनुमति नहीं दी फिर भी उनके कहने अनुसार तुरंत फैक्स के माध्यम से सारी जानकारी पहुँचा दी | 

इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति महोदय के जयपुर (राजस्थान) प्रवास (09-10 जुलाई 2013) के दौरान पहले दिन राजस्थान-पत्रिका ने पेज नम्बर 8 पर ख़बर प्रकाशित कर डाली | हम चाक-चोबंद सुरक्षा के मध्य राज्य-भवन पहुँच गये वहा भी संदेश को अंदर प्रमुख व्यक्ति तक पहुँचा दिया | हमारे राज्य भवन पहुँचने पर वहा मौजूद आसपास के सभी सुरक्षाकर्मी बधाई देने आगये | इसके पश्चात भी राष्ट्रपति महोदय देश के युवा कुछ नया करे, दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविध्यालय में भारत का एक भी नहीं का राग देश भर में घूम-घूम कर राग अलापते रहे मानो देश के गौरव का महीमामंडल कर रहे हो | इस पर हमने एक विशेष लेख कई सबूतों के साथ "राष्ट्रपति की चिंता ...... दिये तले अन्धेरे के समान" रिलीज करा व राष्ट्रपति-भवन के साथ मीडिया में भेज दिया और उस समय अपने ब्लॉग (http://president-visit-madhyapradesh.blogspot.in/) के माध्यम से सार्वजनिक कर डाला | राष्ट्रपति-भवन फ़ोन करके उन्हे मिलने की पुस्टि भी कर डाली | इन सबके बढ़ते दबाव में आखिरकार राष्ट्रपति-सचिवालय से एक ई-मेल (Reference No.09/Per.cell/2013 Dated: 13/12/2013) 6 महिने बाद आया जिसमें 18 मई 2013 का जवाब देते हुये कहाँ वक्त नहीं होने के कारण आपको समय नहीं दिया गया | 

राष्ट्रपति-सचिवालय के इस जवाब के बाद हमे मानवता को जीवित रखने के लिए पदासीन व्यक्ति से कभी भी आगे व नई दिल्ली में भी मिलने का अनुरोध वापस लेना पड़ा क्यूँकि यदि किसी की "आत्मा" ही मर चुकी हो उससे मिलकर क्या करना | हमने यहाँ भी सवेधनिक राष्ट्रपति पद की मर्यादा बनाये रखी और लिखा था यदि सवेधनिक पद के रूप में मिलने के लिए बुलाया जायेगा तो देश के नागरिक होने के नाते अवश्य प्रस्तुत हो जाऊँगा | इन सभी का राज़ हमे 01 दिसंबर 2015 को समझ में आया जब गांधीनगर (गुजरात) में एक रिसर्च सेंटर के लोकार्पण के समय राष्ट्रपति महोदय ने व्यक्तव्यः दिया की "गन्दगी अपने दिमाग में है...." इसलिए हमने अपनी पोस्ट में लिख राष्ट्रपति के फेसबुक पर पोस्ट कर डाला की ......... यदि राष्ट्रपति महोदय सिर्फ अपने दिमाग की गन्दगी साफ़ कर ले तो बहुत कुछ बदल सकता है व लाखो - करोड़ो लोगो की जाने भी बचेगी |  

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