कहते है की मेहनत एक दिन हमेशा रंग लाती है. सतत प्रयास शानदार सफलता दिलवाता है. मेहनत की ताकत से आप अपने सपनो को मनचाही ऊँची उड़ाने दे सकते है, यह बात ऑटो रिक्शा ड्राइवर से हवाई जहाज के पायलट बनने तक का सफर तय करने वाले श्रीकांत पंतवणे ने सही साबित की है. इंडिगो ने श्रीकांत की कहानी को ट्विटर पर विशेष उद्धरण के रूप में डाला. श्रीकांत ने इंडिगो में पायलट के रूप में जॉब जॉइन की है. ट्विटर पर डाली गयी इस कहानी का प्रकाशन इंडिगो की इन हाउस पत्रिका में किया गया था. श्रीकांत की जन्म और कर्म भूमि नागपुर थी. उनके पिता सिक्यॉरिटी गार्ड की नौकरी करते थे. आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण श्रीकांत के नन्हे कंधो को जिम्मेदारियों का बौझ ढ़ोना पड़ा. वह स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ ऑटो से डिलिवरी बॉय का काम भी करता था.
मेहनत करने वालो की हार नहीं होती
एक बार एयरपोर्ट पर डिलिवरी देने गए श्रीकांत की चाय स्टॉल के वेंडर से थोड़ी बहुत चर्चा हुई. वहां श्रीकांत को पता चला कि एविएशन रेग्युलेटर डीजीसीए यानी डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन पायलट स्कॉलरशिप का कार्यक्रम चला रही है. इंडिगो के अनुसार , इसके पश्चात श्रीकांत ने उड़ान का प्रशिक्षण का हुनर पाने के लिए मध्य प्रदेश के एक स्कूल में दाखिल ले लिया. फ्लाइट स्कूल में उन्होंने हर असेसमेंट में सर्वश्रेृष्ठ श्रेणी हासिल की. ट्रेनिंग पूरी करने के पश्चात भी श्रीकांत को कुछ समय तक उड़ान भरने के अपने सपने को परिवर्तित करने के लिए थोड़ा सब्र करना पड़ा.
मार्केट में मंदी के दौर के कारण कमर्शल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) होने के बाद भी श्रीकांत को कुछ दिनों तक कॉर्पोरेट ऐग्जिक्युटिव के रूप में काम करना पड़ा. नीले आकाश में उड़ने का उनका ख्वाब तब सच हुआ जब उन्हें इंडिगो में सलैक्ट कर लिया गया. श्रीकांत अब इंडिगो में फर्स्ट ऑफिसर की ग्रेड पर कार्यरत हैं जिसको सेकंड पायलट या सहायक पायलट भी नाम दिया गया है