शातिराना हिंसा को इजाजत दे रही मोदी की खामोशी : रुश्दी
शातिराना हिंसा को इजाजत दे रही मोदी की खामोशी : रुश्दी
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नई दिल्ली : लेखक सलमान रुश्दी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खामोशी और साहित्य अकादमी जैसी संस्थाओं की खामोशी भारत में एक नई तरह की शातिराना हिंसा (ठगिश वायलेंस) की अनुमति दे रही है। लंदन से मिडिया के एक कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान रुश्दी ने कहा कि भारत में बढ़ती असहिष्णुता हर तरह की आजादी के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। मिडिया की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि रुश्दी ने कहा, सामान्य स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं। सभा करने का सामान्य-सा अधिकार, कोई ऐसा कार्यक्रम आयोजित करने का सामान्य-सा अधिकार कि जिसमें लोग बगैर किसी खतरे के किताब पढ़ सकें, बातें कर सकें- ये सभी ऐसा लग रहा है कि आज के भारत में गंभीर खतरे में हैं।" उन्होंने कहा कि वह भाजपा या कांग्रेस में किसी का पक्ष नहीं ले रहे हैं। लेकिन, उनका मानना है कि आज भारत में जो कुछ हो रहा है वह कुछ अलग है।

रुश्दी ने कहा, मैं किसी राजनैतिक दल का प्रशंसक नहीं हूं। साफ है कि जब मेरी किताब सैटेनिक वर्सेज पर रोक लगाई गई थी तो वह कांग्रेस के राजीव गांधी ने लगाई थी। ऐसे ही जयपुर के एक कार्यक्रम में मुझे बहुत दूर से शामिल होना पड़ा था। तय है कि इस तरह की बातों का मैं प्रशंसक नहीं हूं।" रुश्दी ने कहा,लेकिन, मैं पा रहा हूं कि भारतीय जीवन में आज एक नए तरह की शातिराना हिंसा (ठगिश वायलेंस) घुस गई है और यह एक नई बात है। और, ऐसा लगता है कि मैं कहने के लिए बाध्य हूं कि इसे आधिकारिक निकायों की चुप्पी से अनुमति मिल रही है, साहित्य अकादमी की चुप्पी से अनुमति मिल रही है, जिसका कि लेखक विरोध कर रहे हैं, प्रधानमंत्री के दफ्तर की चुप्पी से अनुमति मिल रही है।

श्रीमान मोदी बहुत बोलने वाले व्यक्ति हैं। कितने ही मुद्दों पर कितनी ही बातें करते रहते हैं। यह सुनना अच्छा लगेगा कि वह इन सब बातों के बारे में क्या कह रहे हैं। रुश्दी अपने 12वें उपन्यास 'टू इयर्स, एट मंथ्स एंड ट्वेंटी एट नाइट्स' के प्रकाशन के संदर्भ में बात कर रहे थे। यह पूछने पर कि क्या नई किताब में इन समयों के दौरान हुए बदलाव, जैसे कि सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर शिवसैनिकों द्वारा कालिख पोतने जैसी बातें दिखेंगी, रुश्दी ने कहा, "अफसोस है कि ये सच है। किताब में ऐसी बातें हैं जो वास्तव में हो रही हैं।" उन्होंने कहा कि वह आजादी पर हमले के खिलाफ लेखिका नयनतारा सहगल और अन्य लेखकों द्वारा पुरस्कार लौटाने का समर्थन करते हैं।

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