सामान्‍य प्रतीत होता है एच.आई.वी. पोजिटिव व्‍यक्ति, 40 साल पहले मिली थी यह महामारी
सामान्‍य प्रतीत होता है एच.आई.वी. पोजिटिव व्‍यक्ति, 40 साल पहले मिली थी यह महामारी
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एड्स, एक ऐसी भयावह महामारी जिसने देश की बड़ी आबादी को अपने प्रभाव में घेर रखा है। देश को इस भयावह बिमारी से पूर्ण रूप से निजात देने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत रही है। हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इस प्रयास में कुछ हद तक सफलता भी मिली है। एचआईवी से संबंधित मामलों को पूर्ण रूप से ख़त्म किये जाने के प्रयास अब भी जारी हैं। लेकिन फिर भी आज पूरी दुनिया में करीब 3.8 करोड़ लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं। भारत विश्व में एड्स प्रभावित लोगों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। 

विश्व एड्स दिवस प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को मनाया जाता है। 1988 में संयुक्त राष्ट्र ने विश्व एड्स दिवस की शुरुआत की थी। यह दिवस महामारी के खिलाफ दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाता है। यूं कहें तो यह दिन अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य दिवसों में से एक होने की व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त कर चुका है। इस एड्स विरोधी अभियान का उद्देश्य लोगों में महामारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना, जो इस महामारी के चलते जान गवा चुके है, उन्हें याद करना, साथ ही इसके उपचार और रोकथाम सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक विशेष सफलता प्राप्त करने का जश्न मनाना है। 


सामान्‍य प्रतीत होता है एच.आई.वी. पोजिटिव व्‍यक्ति 

एच.आई.वी.नामक विषाणु से एड्स होता है। यदि कोई व्यक्ति एच.आई.वी. संक्रमित होता है, तो 12 सप्‍ताह के बाद ही जाँच में व्यक्ति के शरीर में विषाणु होने का पता चलता है। यह विषाणु शरीर और मस्ति‍ष्‍क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है, और धीरे-धीरे उन्‍हे नष्‍ट करता रहता है। यह वही कोशिकाएं होती है टी कोशिकाओं (सेल्‍स) कहा जाता है। यह कोशिकाएं रक्‍त में मौजूद होकर शरीर को बाहरी रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह शरीर के लिए कवच के सामान होती है।  एच.आई.वी. संक्रमण होने से शरीर आम रोगों के कीटाणुओं से अपना बचाव नहीं कर पाता और तरह-तरह का इन्‍फेक्‍शन का शिकार होने लगता है। यह बिमारी एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में आसानी से फ़ैल सकती है। 

एचआईवी से संक्रमित कुछ लोगों में वायरस के शरीर में प्रवेश करने के 2 से 4 सप्ताह के भीतर फ्लू जैसी बीमारी विकसित हो जाती है। बुखार के साथ-साथ ठंड लगना, पसीना आना, थकान और गलें में खराश, इसके मुख्य लक्षण है। 

एड्स से बचाव ही है इसका बेहतर इलाज 

किसी भी अन्य व्यक्ति के खून या अन्य बॉडी फ्लूड से दूर रहना, ड्रग्स के इन्जेक्शन और नीडल शेयर न करना,  खून चढ़ाने या रक्तदान के दौरान सुरक्षा बरतना, यह सभी एचआईवी संक्रमण से बचाव के मुख्य उपाय है। फ़िलहाल दुनिया में एड्स का कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन एचआईवी से लड़ने में दवाएं प्रभावी हैं। कई ऐसे उपचार है, जो आपके शरीर में एचआईवी को कम करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने  के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। 

40 साल पहले मिली थी यह महामारी

सन 1981 में एचआईवी एड्स का पहला अमेरिकी में मामला सामने आया था। अमेरिका के बाद पूरी दुनिया से इस महामारी के बारे में खबरे सामने आने लगी। धीरे-धीरे इसने पूरी दुनिया में पैर पसारना शुरू कर दिया, यह 100 से अधिक देशों में फैल चुकी थी। 

विश्व एड्स दिवस मनाने का उद्देश्य है 2030 तक एड्स को जड़ से उखाड़ फेकना है। गौरतलब है की एड्स के पहले मामले सामने आने के चालीस साल बाद भी, एचआईवी अभी भी दुनिया के लिए खतरा है। आज, दुनिया 2030 तक एड्स को समाप्त करने की इस प्रतिज्ञा को पूरा करने से कोसो दूर है। इसका मुख्य कारण ज्ञान या उपकरणों की कमी नहीं है। बल्कि लोगों में शिक्षा का आभाव है, जो एचआईवी की रोकथाम और उपचार के समाधानों में बाधा डालती हैं। 

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