नई दिल्ली : बुधवार को रेल मंत्रालय के नाम एक ट्वीट आया। इश बार यह ट्वीट फिर से एक बच्चे के संबंध में था। एक दो साल की बच्ची को डिहाइड्रेशन हो गया था। बच्ची माता-पिता के साथ भागलपुर-बैंगलोर अंगा एक्सप्रेस में सफर कर रही थी। मंत्रालय ने उसे आसनसोल स्टेशन पर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई। इस बच्ची को आसनसोल में डिवीजनल रेलवे अस्पताल के बाल चिकित्सा वार्ड में भर्ती कराया गया।
विप्रो में सॉफ्टवेयर इंजीनियर शंकर पंडित बेंगलुरु से बिहार अपने एक अंकल के घर एक समारोह में शरीक होने जा रहे थे। उनके साथ उनकी पत्नी और उनकी दो साल की बेटी भी थी। उन्हें 2 जनवरी, 2016 को बेंगलुरू लौटना था और अंगा एक्सप्रेस से बुधवार को शाम 4.10 बजे किऊल से सवार होना था। ए1 कोच में एसी द्वितीय श्रेणी में टिकट बुक किया था।
शंकर पंडित ने बताया कि जब ट्रेन किउल से चली तो बच्ची की तबीयत बिगड़ने लगी। उसे उल्टी दस्त होने लगे और हमारे पास ऐसा कुछ भी नही था कि हम उसे कंट्रोल कर सके। अन्य पैसेंजर व ट्रेन के स्टाफ ने मदद करने की कोशिश की लेकिन फिर भी हालत बिगड़ती जा रही थी। मेरे पास कोई चारा नही थी। हमारे पास ढेर सारे सामान थे और हम किसी भी स्टेशन पर नही उतर सकते थे। तब मैंने रेल मंत्री को ट्वीट किया। इसके बाद मुझे कॉल आया और लोकेशन व अन्य जानकारियां ली गई।
पंडित ने कहा कि मुझे ऐसे रिस्पॉन्स की उम्मीद नही थी। पूर्वी रेलवे के सीपीआरओर आर एन महापात्र ने बताया कि ट्वीट मिलने के तत्काल बाद प्रभु कोलकाता में पूर्वी रेलवे के अधिकारियों से संपर्क में थे और उन्हें आसनसोल स्टेशन पर बच्ची के लिए चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। जब ट्रेन 8.50 बजे आसनसोल पहुंची तब चिकित्सा दल एम्बुलेंस के साथ मौजूद था।
पंडित ने कहा कि हॉस्पिटल के डॉक्टरों को पहले से इस बात की जानकारी थी और जैसे ही एंबुलेंस पहुंची, वो पूरी तरह तैयार थे। अब मेरी बेटी बिल्कुल ठीक है और इसके लिए रेलवे का धन्यवाद। रेलवे ने न केवल मेरी बेटी की जान बचाई बल्कि हमारे लिए आसनसोल से बेंगलुरु के लिए टिकट की भी व्यवस्था की।