युवा पुरुष जो लिंगवेदी और हिसक वीडियो गेमों के चरित्र से अत्यधिक जुड़ाव महसूस करते हैं. वे असल जिन्दगी में भी हिंसा की शिकार महिलाओं के प्रति कम संवेदना रखते हैं. ऐसा शोधकर्ताओं का कहना है. उन्होंने अपने शोध के दौरान पाया कि जो पुरुष 'हाफ लाइफ 1' या 'हाफ लाइफ 2' जैसे हिंसक वीडियो गेम जिसमें लिंगभेद नहीं है, खेलते हैं उनमें संवेदना का स्तर उतना कम नहीं पाया गया जितना 'ग्रैंड थेफ्ट ऑटो' (जीटीए) जैसा लिंगभेद और हिंसा से भरपूर वीडियो गेम खेलने वालों में होता है.
कोलंबस के ओहियो स्टेट विश्वविद्यालय के ब्रैड बुशमान कहते हैं, 'वैसे पुरुष जो लिंगभेदी, हिंसक गेम्स के चरित्र के साथ अपने को जोड़ते हैं. उनमें पीड़ितों के प्रति संवेदना नहीं होती है.'
बुशमान बताते हैं, 'वो जो भी करता है, उसे आप नियंत्रित करते हैं. यह आपके विचारों, भावनाओं और व्यवहार पर सचमुच असर डालता है, कम से कम थोड़े समय के लिए जरूर असर डालता है."
इटली के बिकोका के मिलानो विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधार्थी एलेसांद्रो गबियाडीनी का कहना है, 'इन निष्कर्षो से पता चलता है कि वीडियो गेम्स में हिसा और लिंगभेद के मेल से पुरुष खिलाड़ियों को किस प्रकार का नुकसान पहुंचता है.'