पोर्न साइट्स बंद करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
पोर्न साइट्स बंद करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
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नई दिल्ली। भारत में बढ़ती पोर्नोग्राफी और पोर्न के इंटरनेट उपयोग को लेकर हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई की। इंदौर के एक वकील कमलेश वासवानी द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि पूरी तरह से पोर्न साईट्स को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है हालांकि चाईल्ड पोर्न को ब्लाॅक करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा कहा गया है कि यह किसी की निजता और व्यक्तिगत आजादी का उल्लंघन है। मामले में कोर्ट ने पोर्न साईट्स के उपयोग को रोकने की बात को नकारते हुए कहा है कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 में वर्णित मौलिक अधिकार का हनन है।

मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि इस मसले पर वयस्क और अवयस्क का सवाल उठ सकता है। यही नहीं जिस देश में कामसूत्र की रचना की गई हो वहां व्यक्तिगत आजादी सर्वोपरि होना जरूरी है। तीन न्यायाधीशों की बेंच की अध्यक्षता करते हुए मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू द्वारा कहा गया है कि इंटरनेट पर ब्लू फिल्म उपलब्ध हैं और कामुकता व्यक्ति की इच्छा है।

हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाओं और बच्चों के विरूद्ध अधिकांश अपराध इसी तरह की पोर्न साईट्स से होते हैं। मामले में कहा गया है कि सरकार की ओर से इस मामले में एफीडेविट यानि हलफनामा अभी तक पेश नहीं किया गया है। आखिर यदि कोई व्यक्ति घर की चारदीवारी में पोर्न साईट देखता है तो उसे कैसे रोका जा सकता है। 

 हालांकि सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए उत्तरों से न्यायालय संतुष्ट नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू द्वारा पोर्न साईट को रिस्ट्रीक्ट करने को लेकर असंतोष जताया गया।

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