ओवेरियन सिस्ट की समस्या लगभग सभी स्त्रियों को उनके जीवनकाल में कभी न कभी जरूर होती है। दरअसल, ओवरी के अंदर लिक्विड से भरी थैली जैसी संरचना होती हैं। हर महीने पीरियड्स के दौरान थैली के आकार की संरचना उभरती है, जो फॉलिकल के नाम से जानी जाती है। इन फॉलिकल्स से एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रॉन नामक हॉर्मोन्स का स्राव होता है, जो ओवरी से मैच्योर एग के निकलने में सहायक होते हैं। कुछ मामलों में पीरियड्स खत्म हो जाने के बाद भी फॉलिकल का आकार बढ़ता रहता है, जिसे ओवेरियन सिस्ट कहा जाता है। कारण 1.
आनुवंशिक प्रभाव : मोटापा, कम उम्र में पीरियड की शुरुआत, गर्भधारण में अक्षमता, हॉर्मोन्स का असंतुलन। कैसे की जाती है ओवेरियन कैंसर की जांच ओवरी (अंडाशय) महिलाओं के प्रजनन अंग का एक प्रमुख हिस्सा है। ओवरी के जरिए महिलाओं के शरीर में अंडों व हार्मोन का निर्माण होता है। ओवरी का आकार बादाम जैसा होता है। महिलाओं में ओवरी का कैंसर एक गंभीर समस्या है। अगर इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया जाए तो इससे जान का खतरा हो सकता है।
ओवरी कैंसर के लक्षण : पेट में दर्द होने पर इसे ऐसे ही नही समझे कभी कभी पेट दरस को सामान्य समझकर लोग जाँच नही करवाता जो की ओवरी कैंसर का कारण बन जाता है., मरोड़ उठना, गैस या सूजन, डायरिया, कब्ज की समस्या, बार-बार पेट खराब होना, भूख न लगना, ज्यादा भोजन नहीं कर पाना, अचानक वजन कम होना या बढ़ना।
ओवरी कैंसर की जांच : ओवरी के कैंसर की जांच का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट कराने को कह सकते हैं। इनमें शारीरिक जांच, लैब टेस्ट, अल्ट्रासांउड आदि शामिल होते हैं।
अल्ट्रासाउंड : अल्ट्रासाउंड में एक हाई फ्रीक्वेंसी साउंड वेव निकलती है। इसके जरिए रोगी के शरीर के अंदर की पूरी तस्वीर डॉक्टर अपने कम्प्यूटर के मॉनिटर पर देख सकता है। इससे महिला की ओवरी का आकार व उसमें होने वाली समस्याओं के बारे में जाना जा सकता है। इससे इलाज में काफी सहायता मिलती है।
सर्जरी : अगर महिलाओं में अंडाशय की गड़बड़ी के लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर इसके लिए सर्जरी का सहारा लेते हैं। सर्जरी के दौरान डॉक्टर रोगी के पेट में एक चीरा लगाते हैं, जिससे वो पेट की कैविटी के बारे में पता लगता है और कैंसर के होने, न होने की पुष्टि करते हैं। कुछ मामलों में सर्जन छोटे-से चीरे के जरिए कुछ सर्जिकल यंत्रों को अंदर डालता है और इनसे पेट में मौजूद लिक्विड्स का सैंपल लिया जाता है। इसके बाद इस लिक्विड को लैब में टेस्ट के लिए भेजा जाता है। कैंसर की पहचान हो जाने पर डॉक्टर इसे तुरंत हटा भी देता है।
लक्षण : पेट के निचले हिस्से में रुक-रुक कर दर्द और भारीपन महसूस होना। पीरियड का अनियमित होना, अधिक मात्रा में ब्लीडिंग होना और जी मिचलाना।
उपचार : सिस्ट का इलाज उसके आकार और लक्षणों की गंभीरता के आधार पर किया जाता है। आमतौर पर छोटे आकार वाले सिस्ट दो-तीन महीने के पीरियड्स के बाद अपने आप दूर हो जाते हैं, लेकिन अगर सिस्ट दो या तीन महीने के बाद भी दूर नहीं होते या मेनोपॉज के बाद ऐसी समस्या हो तो बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए, वरना सिस्ट के कैंसर में बदलने की संभावना होती है। होल सर्जरी और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा भी इस बीमारी का उपचार संभव है।