Apr 02 2017 09:35 PM
जो व्यक्ति ईश्वर की आराधना और अनुसरण करता है वह न तो कभी परेशानी का सामना करता है और न ही वह अंधकार में भटकता है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र भी यही कहता है कि ईश्वर की आराधना और अनुसरण किया जाए। ईश्वरीय कृपा से सभी काम बनता है।
-जिसने अपने को अच्छी तरह से पहचान लिया वह अपने आपको बहुत नगण्य समझने लगता है और लोगों द्वारा की गई प्रशंसा में फूल नहीं उठाता।
-शरीर के लिए कोई कितनी ही चेष्टा क्यों न करें, उसे कितना ही आराम से रखने का प्रयास किया जाए, शरीर का नाश तो होगा ही, फिर भले आज हो या फिर सौ वर्ष के बाद।
-हम सभी दुर्लभ प्राणी है, परंतु हमें अपने से अधिक दुर्बल किसी को नहीं समझना चाहिए।
-सबसे बड़ी बुद्धिमानी इसी में है कि दुनिया की ओर से आंख फेरकर परमात्मा के चरणों में ध्यान लगाया जाए।
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