हदिया के निकाह पर शीर्ष अदालत की मोहर
हदिया के निकाह पर शीर्ष अदालत की मोहर
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नई दिल्ली : केरल के बहुचर्चित लव जिहाद मामले में देश की शीर्ष अदालत ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर हदिया के निकाह पर अपनी मुहर लगा दी.बता दें कि केरल हाई कोर्ट ने हदिया के निकाह को गैर कानूनी करार दिया था. इस फैसले के खिलाफ हदिया के पति शाफीन जहाँ ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

गौरतलब है कि गत 27 नवंबर को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की पीठ के समक्ष हादिया ने अपने हलफनामे में कहा था कि वह शाफीन जहां की पत्नी है, जिससे शादी करने के लिए उसने इस्लाम धर्म कुबूल किया है.हादिया ने यह भी कहा था कि वह आजादी के साथ अपनी जिंदगी जीना चाहती है.इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हादिया को उसके माता -पिता के संरक्षण से मुक्त करते हुए उसे कॉलेज में पढ़ाई जारी रखने का निर्देश दिया था. लेकिन हादिया ने कोर्ट से उसके पति के साथ रहने का आग्रह किया था.

बता दें कि इसके पूर्व की सुनवाई में केरल के लव जिहाद मामले में अखिला उर्फ़ हादिया के पिता अशोकन ने यह शादी रद्द करने के केरल हाईकोर्ट के आदेश का समर्थन करते हुए कहा था, कि केरल मे धर्म परिवर्तन का तंत्र सक्रिय है. इस पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल था कि क्या हाईकोर्ट दो वयस्कों की मर्ज़ी से की गई शादी रद्द कर सकता है? संभवतः इसी बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया. इस मामले में कोर्ट ने एनआईए के हलफनामे को भी ज्यादा महत्व नहीं दिया. महिला दिवस पर आए इस फैसले ने हदिया को तो उसके पति के साथ रहने का हक़ दे दिया, साथ ही अन्य वयस्क प्रेमियों के विवाह का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया.

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