नई दिल्ली : केंद्र सरकार न्यायिक व्यवस्था में भी बदलाव लाने पर ध्यान दे रही है। हालांकि इस मामले में यह बात सामने आई है कि इसे जल्द ही नहीं किया जाएगा। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध किया है कि समाज के पिछड़े वर्गों से आने वाले लोगों के बारे में विचार किया जाए। उनका कहना था कि उच्च न्यायिक व्यवस्था में समाज के पिछड़े तबके को लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सवालों का जवाब दिया गया इस दौरान कानून मंत्री ने कहा कि विभिन्न मसले पर विचार करना होगा। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में अनुच्छेद 124 और 217 के अधीन जजों की नियुक्ति आरक्षण का प्रावधान नहीं था। रविशंकर प्रसाद द्वारा यह भी कहा गया कि अनुच्छेद 235 के अंतर्गत जिला और अधीनस्थ न्यायालय पर उच्च न्यायालय का नियंत्रण किया जाता है।
दरअसल इस तरह के मामले में उच्च न्यायालय को निर्णय लेना होता है। गौरतलब है कि दलितों की पिटाई और अत्याचार के मामले सरकार के खिलाफ जाने के बाद इसे अब सरकार का एक ऐसा प्रयास माना जा रहा है जो सरकार के लिए सकारात्मकता ला सकता है। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के पूर्व इस तरह की घोषणा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।